समुच्चय बोधक अव्यय की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

आज के इस लेख में हम समुच्चय बोधक अव्यय के बारे में पढ़ने वाले हैं, इस आर्टिकल में आपको समुच्चय बोधक अव्यय तथा उसके प्रकार के बारे में उदाहरण सहित पूरी जानकारी मिल जाएगी अतः इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

समुच्चय बोधक अव्यय की परिभाषा

ऐसे अव्यय जो दो शब्दों, दो वाक्यों अथवा वाक्यांशों को आपस मे जोड़ने का कार्य करते है समुच्चय बोधक अव्यय कहलाते हैं। चूंकि यह वाक्यों को जोड़ते हैं अतः इनको सयोंजक अव्यय भी कहा जाता है।

उदाहरण

  • राज और किशन बहुत अच्छे दोस्त हैं।
  • मुझे मेरे सामान या पैसे चाहिए।
  • रितेश और शिवम खेलने गए।

उसपर सभी लोग भरोसा करते है क्योंकि वह ईमानदार व्यक्ति है।

उपर्युक्त दिए गए वाक्यों में ‘या’, ‘और’, ‘क्योंकि’ शब्दों का प्रयोग किया गया है जो कि सयोंजक अव्यय है। यह सभी वाक्यों को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।

समुच्चय बोधक अव्यय के प्रकार

समुच्चयबोधक अव्यय को मुख्यतः दो भागों में बॉटा गया हैं जो कि आप निम्नलिखित देख सकते हैं-

  • समानाधिकरण समुच्चय बोधक
  • व्यधिकरण समुच्चय बोधक

1. समानाधिकरण समुच्चय बोधक

वाक्य में प्रयुक्त होने वाले ऐसे अव्यय जो समान वाक्य या समान वाक्यांशों को जोड़ने का कार्य करते हैं, समानाधिकरण समुच्चय बोधक कहलाते हैं।

जैसे – और, तो, तथा इत्यादि।

उदाहरण

  • कृष्ण और बलराम भाई थे।
  • मटर और पनीर की सब्जी बहुत अच्छी लगती है।
  • मुझे तुम तो काफी समझदार लगते हो।
  • कीबोर्ड तथा माउस कंप्यूटर का हिस्सा है।

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के प्रकार

समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय को छः भागों में बॉटा गया है जो कि निम्नलिखित दिए गए हैं-

  • संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • विरोधदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • परिमाणदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
  • वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

1. संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ऐसे अव्यय जो कि दो या दो से अधिक वाक्यों को आपस मे जोड़ने के लिये प्रयोग किया जाता है।

जैसे – तथा, एवं, और, व, भी इत्यादि।

उदाहरण –

  • राम और श्याम साथ में स्कूल जाते हैं।
  • छोटू और राजू पढ़ाई में कमजोर है।
  • छोटे तथा बड़े सभी लोगो का सम्मान करना चाहिए।

2. विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ऐसे अव्यय जो किसी वाक्य, शब्द या वाक्यांशों में विभाजन का बोध कराते हैं, विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।

जैसे – चाहे, नही तो, अन्यथा, परंतु, तो, वा, या, क्या क्या, मगर, चाहे, या-या, ताकि इत्यादि।

उदाहरण –

  • आप अभी मेहनत कर लो ताकि आपको परीक्षा में कोई परेशानी ना हो।
  • उसने बहुत समझाया परन्तु अपने उसकी बात नहीं सुनी।
  • आप जितना चाहे उतना दूध ले सकते हैं।

3. विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ऐसे अव्यय जो हमे विकल्पों के बारे मे बोध कराते हैं विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – अन्यथा, या, अथवा, कि इत्यादि।

उदाहरण –

  • तुम या तो पढ़ाई कर लो या फिर खेल लो।
  • तुम पहले हस लो या फिर बोल लो।
  • तुम जल्दी चले जाओ अन्यथा आज यही रुक लो।

4. विरोधदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वाक्य में प्रयोग होने वाले ऐसे अव्यय जो की दो विरोधी वाक्य अथवा उपवाक्यों को जोड़ते हैं।

जैसे – लेकिन, मगर, वरना, किंतु, परन्तु, पर, बल्कि इत्यादि।

उदाहरण – 

  • मैं ट्रेन से चला जाता किंतु मेरे पास टिकिट नहीं है।
  • मैं अकेला हु परन्तु मैं हार नहीं मान सकता हूँ।
  • उसने बहुत पढ़ाई की लेकिन प्रथम नही आ सका।

5. परिमाणदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

वाक्य में प्रयुक्त होने वाले ऐसे अव्यय जो दो बाक्यो को जोड़ते हैं तथा उनके जुड़ने के बाद आने वाले परिमाण को बोध कराते हैं। 

जैसे – फलताः, इस कारण, अतः, अतएव, स्वरूप, परिणाम, इसलिए, फलस्वरूप अन्यथा इत्यादि।

उदाहरण – 

  • उसने जीबन भर अच्छे कार्य किये जिसके फलस्वरूप उसके साथ भी अच्छा होता है।
  • उसने पूरे वर्ष पढ़ाई की इसलिए उसके नम्बर सबसे अधिक आये हैं।
  • वह बहुत छोटा है अतः वहाँ तक नही पहुच सका।

6. वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक

इस अव्यय के प्रयोग से त्याग करने अथवा जोड़ने का बोध होता है। 

जैसे – या, अथवा, न इत्यादि।

उदाहरण –

  • आप अपना सामान या पैसे ले सकते हैं।
  • राम अथवा रोहन में से कोई एक ही जीतेगा।

2. व्यधिकरण समुच्चय बोधक

यह उन अव्यय के अंतर्गत आते है जो ऐसे उपवाक्यों को जोड़ने का कार्य करते हैं जो किसी अन्य वाक्य पर आश्रित होते हैं।

जैसे – इसलिए, तथापि, यधपि इत्यादि।

उदाहरण –

  • यधपि यह कार्य नही हुआ तो संकट आ सकता है।
  • तुम मेरे मित्र हो इसलिए मैं तुम्हारे साथ चल रहा हूँ।

व्यधिकरण समुच्चय बोधक के प्रकार

व्यधिकरण समुच्चय बोधक को मुख्यतः चार भागों में बॉटा गया हैं जो कि आप निम्नलिखित देख सकते हैं-

  • कारणसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  • संकेतसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  • उद्देश्यसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक
  • स्वरुपसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक

1. कारणसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक

इस अव्यय के द्वारा किन्ही दो जुड़े हुए वाक्यों की क्रियाओ के बारे में बोध कराता है।

जैसे – इस लिए, ताकि, क्योंकि, चुकी, जोकि, इस कारण, इसलिए, कि इत्यादि।

उदाहरण – 

  • तुम बाहर बैठो ताकि में बात कर सकूं।
  • तुम अभी बाहर नही जा सकते हो क्योंकि तुम अभी बीमार हो।

2. संकेत सूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

संकेतसूचक ऐसे अव्यय होते है जो कि दो वाक्यों में होने वाली घटनाओं के बारे में संकेत करते हैं।

जैसे – परंतु, यदपी, यदि, तथापि, जा, तो इत्यादि।

उदाहरण –

  • यदि जीबन में सफल होना है तो कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।
  • यधपि मैं समय पर नहीं पहुचा तो तुम निकल जाना।

3. उद्देश्यसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक

यह उन अव्यय के अंतर्गत आते हैं जो कि दो वाक्यों को जोड़ने के बाद उन वाक्यों के उद्देश्य के बारे में बोध कराते हैं।

जैसे – जिससे, ताकि, कि, इसलिए, जो इत्यादि।

उदाहरण –

  • तुम खड़े हो जाओ ताकि वह तुम्हारी जगह पर बैठ सके।
  • यह सब मैने इसलिए बोला ताकि उसको कुछ समझ आये।

4. स्वरुपसूचक व्याधिकरण समुच्चयबोधक

इस अव्यय के द्वारा वाक्य के मुख्य अर्थ के बारे में बोध होता है।

जैसे – जैसे, यानी, अर्थात, मानो, कि इत्यादि।

उदाहरण – 

  • एक दिन का समय यानी एक दिन का समय।
  • जैसे ही तुम्हारा काम पूरा हो बापस आ जाना।

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