वंदेमातरम् का इतिहास – Vande Mataram History
भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदेमातरम्’ अपने आप में अनेक इतिहास संजोय हुए है. बहुत से लोगों को लगता है की ‘वंदेमातरम्’ पहली बार आजादी के बाद ही गाया गया था लेकिन यह गीत बहुत पहले गाया गया था. बांग्ला संस्कृत भाषा में बनाया गया यह गीत आज हमारे भारत का राष्ट्रिय गीत बना हुआ है. इस आर्टिकल में हम वंदेमातरम् गीत से जुड़ी सभी जानकारी देने वाले हैं. तो इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े ताकि आपको इतिहास की कुछ अनोखी बातों का पता चल पाए.
वंदेमातरम् गीत परिचय
गीत का नाम | वंदेमातरम् |
लेखक | बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय |
धुन निर्माता | यदुनाथ भट्टाचार्य |
पहली बार किसने गाया | भावानंद सन्यासी |
समय अवधि | एक मिनट पांच सेकंड (65 सेकंड) |
विशेषता | भारत का राष्ट्रगीत |
पहली बार कब गाया गया | 28 दिसंबर 1896 ( भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन मे) |
राष्ट्रगीत की उपाधि कब मिली | 15 अगस्त 1947 |
वंदेमातरम् गीत के रचियता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय थे. उन्होंने इस गीत को उपन्यास आनंद मठ में प्रकाशित किया. शुरुआती दौर में इस गीत के पहले दो ही पद लिखे गये थे. यह गीत बांग्ला और संस्कृत भाषा के मिश्रण से बना था. इस गीत की रचना 1876 करी थी और 1882 में आनंद मठ उपन्यास में यह प्रकाशित हुआ था. इस गीत की संगीत यदुनाथ भट्टाचार्य ने दिया और पहली बार इस गीत को भावानंद सन्यासी ने गाया था.
28 दिसंबर 1896 में कोलकाता में कांग्रेस अधिवेशन में इस गीत को पहली बार गाया था. उसके बाद यह गीत अपना चर्म पकड़ने लगा. लेकिन इस गीत के आलोचक भी बहुत ज्यादा उस वक्त भी थे. इस गीत के गाये जाने के बाद ‘वंदेमातरम्’ एक नारे की तरह भी उभरा.
वंदेमातरम् गीत की रचना की कहानी
इस गीत की रचना के पीछे एक कहानी है, बंकिमचन्द्र जी पढाई के बाद अंग्रेजो के यहाँ काम किया करते थे. उस समय अंग्रेजो का एक मुख्य गीत हुआ करता था ‘गॉड सेव द क्वीन’ अंग्रेजी संस्थानों में यह गीत गाना अनिवार्य था. लेकिन बंकिमचन्द्र जी को यह गाना बिलकुल पसंद नहीं था. उन्होंने 1876 में अंग्रेजी गाने की जगह भारत के लिए एक गीत बनाया इसी गीत को ‘वंदेमातरम्’ कहा गया.
अनेक एतिहासिक कहानियों में लिखा गया है की बंकिमचन्द्र विद्रोही व्यक्ति थे वह अंग्रेजो के साथ काम तो करते लेकिन हमेशा भारत को अंग्रेजो से छुटकारा दिलाने का प्रयास करते. उन्होंने क्रांति लाने के लिए इस गीत का निर्माण भी किया. लेकिन उस समय उन्हें कुछ ख़ास रेस्पोंस नहीं मिला.
उन्होंने इस गीत में भारत को माँ दुर्गा का स्वरूप बताया है, एंव इस गीत के अनुसार जो इंसान यह वंदना करेगा माँ हमेशा उसकी रक्षा करेगी. ऐसा बताया है. जब यह गीत पोपुलर हुआ तो कुछ आलोचकों ने इस गीत की आलोचना भी करी. यही कारण है जिसकी वजह से इस गीत के सिर्फ दो ही पद सबसे ज्यादा पोपुलर हुए.
1947 में राष्ट्रगीत के रूप में गाया गया
भारत में आजादी का बिगुल बज चूका था उस समय अंग्रेजो ने भारत छोड़ दिया था यह समय था 14 अगस्त 1947 इस दिन शाम को पहली बार भारतीय संविधान सभा की बैठक हुई इसी बैठक में भारतीय राष्ट्रगीत ‘वंदेमातरम्’ गाया गया.
15 अगस्त 1947 को पहली बार आकाशवाणी से इस गीत का प्रसारण हुआ. उस समय से इस गीत को भारत का राष्ट्रगीत बना दिया गया.
वंदेमातरम् अलग-अलग भाषाओं में
हम जानते है की यह गीत सबसे पहले बांग्ला और संस्कृत में बना और आज भी इस गीत को संस्कृत में ही गाया जाता है. लेकिन इसे अलग-अलग भाषा में ट्रांसलेट भी किया गया है. हम यहाँ पर इसका हिंदी अर्थ भी बतायेंगे.
वंदेमातरम् –
हिंदी अर्थ | |
वन्दे मातरम्सुजलां सुफलाम्मलयजशीतलाम्शस्यश्यामलाम्मातरम्। शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्सुखदां वरदां मातरम्॥ १॥ कोटि कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-करालेकोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,अबला केन मा एत बले।बहुबलधारिणींनमामि तारिणींरिपुदलवारिणींमातरम्॥ २॥ तुमि विद्या, तुमि धर्मतुमि हृदि, तुमि मर्मत्वम् हि प्राणा: शरीरेबाहुते तुमि मा शक्ति,हृदये तुमि मा भक्ति,तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे॥ ३॥ त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणीकमला कमलदलविहारिणीवाणी विद्यादायिनी,नमामि त्वाम्नमामि कमलाम्अमलां अतुलाम्सुजलां सुफलाम्मातरम्॥४॥ वन्दे मातरम्श्यामलाम् सरलाम्सुस्मिताम् भूषिताम्धरणीं भरणींमातरम्॥ ५॥ | मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूँ। ओ माता!पानी से सींची, फलों से भरी,दक्षिण की वायु के साथ शान्त,कटाई की फसलों के साथ गहरी,माता! उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुन्दर ढकी हुई है,हँसी की मिठास, वाणी की मिठास,माता! वरदान देने वाली, आनन्द देने वाली. |
वंदेमातरम् से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- वंदेमातरम् बांग्ला भाषा में ‘बंदेमातरम्’ लिखा जाता है.
- यह संस्कृति के आलावा पंजाबी भाषा में भी ट्रांसलेट किया जा चूका है.
- आज वंदेमातरम् कहीं पर भी गाया जाता है अगर कोई सुनता है तो वह एक जगह इसके सम्मान में खड़ा हो जाता है.
- गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर यह गीत पुरे सम्मान के साथ गाया जाता है.
- यह गीत पहली बार बंग दर्शन पत्रिका में छपा था.
- बंकिमचन्द्र जी ने एक बार कहा था की आज तो यह कागज पर लिखा गया है, लेकिन एक समय ऐसा आएगा जब यह गीत कोई गायेगा तो पूरा भारत गहरी निद्रा से भी जाग जाएगा.
- आजादी के बाद जन-गण-मन को राष्ट्रगान बनाया गया और वंदेमातरम् को राष्ट्रगीत.
निष्कर्ष
हमने यहाँ पर वंदेमातरम् राष्ट्रगीत से जुड़ी अनेक जानकारी आपके साथ साझा की है. आपको हमारी यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट में जरुर बताएं. अपने दोस्तों के साथ इस जानकारी को शेयर जरूरी करें ताकि उन्हें भी हमारे राष्ट्रगीत की यह जानकारी मिल पाए.