पदार्थ का अर्थ व परिभाषा –
रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान के अनुसार पदार्थ उस को कहा जाता है जो स्थान घेरता है तथा जिसका द्रव्यमान होता है। विज्ञान के प्रारंभिक दिनों में अर्थात जब विज्ञान का विकास हो रहा था तो यह माना जाता था कि पदार्थ और ऊष्मा को ना ही बनाया जा सकता है, और ना ही नष्ट किया जा सकता है अर्थात पदार्थ अविनाशी है जिसका अर्थ है – कभी नष्ट नहीं हो सकता। और उस समय यह अवधारणा सब वैज्ञानिक मानते थे।
उस समय इसे पदार्थ की अविनाशिता का नियम कहा जाने लगा था किंतु आइंस्टाइन के प्रसिद्ध समीकरण जोकि E = mc2 है ने यह स्थापित कर दिया कि पदार्थ और उर्जा का परस्पर परिवर्तन संभव है और इन्हें बनाया भी जा सकता है और नष्ट भी किया जा सकता है।
आइंस्टाइन के प्रसिद्ध समीकरण जोकि E = mc2 का अर्थ – E = mc2 का अर्थ है द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता (mass–energy equivalence).
भौतिकी विज्ञान में इस सिद्धांत के अनुसार यह बात सिद्ध की जाती है कि यदि किसी वस्तु में थोड़ा भी द्रव्यमान है तो उसमें उस द्रव्यमान के बराबर एक ऊर्जा भी होती है। और यदि किसी पदार्थ में उर्जा होती है तो उसमें उस उर्जा के तुल्य द्रव्यमान भी होता है।
द्रव्यमान और ऊर्जा अल्बर्ट आइंस्टाइन के इसी सत्र E = mc2 से एक दूसरे से संबंधित है और इसी सूत्र से यह बात सिद्ध की जा चुकी है कि पदार्थ और उर्जा की अविनाशिता का नियम गलत है और पदार्थ और ऊर्जा में परस्पर परिवर्तन संभव है।
Encyclopaedia Britannica के अनुसार पदार्थ की परिभाषा – एक भौतिक वस्तु जो देखने योग्य ब्रह्मांड का गठन करता है और ऊर्जा के साथ मिलकर सभी उद्देश्यपूर्ण घटनाओं का आधार बनता है, पदार्थ कहलाती है।
पदार्थ का निर्माण –
पदार्थ का निर्माण सबसे न्यूनतम स्तर पर प्राथमिक कणों से होता है जिन्हें क्वार्क और लेप्टान कहा जाता है यह क्वार्क और लेप्टान प्राथमिक कणों का एक वर्ग होते हैं जिनमें की इलेक्ट्रॉन शामिल होते हैं।
यह प्राथमिक कण अथवा क्वार्क और लेप्टान न्यूट्रॉन में संयोजित में होते हैं और यह प्राथमिक कण इलेक्ट्रॉनों के साथ मिलकर आवर्त सारणी के तत्वों, उदाहरण के लिए हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और लोहे के परमाणु का निर्माण करते हैं।
यह परमाणु पानी, H2O जैसे अणुओं से आगे जुड़ जाते हैं और बदले में परमाणु के बड़े समूह का रूप ले लेते हैं और यह बड़े समूह पदार्थ बनाते हैं।
पदार्थ के प्रकार – पदार्थों का विभाजन उसके भौतिक और रासायनिक आधार पर किया जाता है जिनके अनुसार पदार्थ निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –
भौतिक आधार पर पदार्थो के प्रकार – पदार्थ के भौतिक आधार पर उन्हें तीन भागों में बांटा जाता है जिनका वर्णन निम्नलिखित है –
1) ठोस – ठोस पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनमें कण बहुत बारीकी से भरे हुए होते हैं या जिनमें बहुत सारे कण एक साथ बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
इस प्रकार के पदार्थों में आकर्षण वल बहुत अधिक होता है और उस पदार्थों के कणों में आकर्षण बल की अधिकता के कारण इन पदार्थों का एक निश्चित आकार होता है और इसी कारण से इनका आयतन भी निश्चित होता है।
ठोस पदार्थों का आयतन और आकार इसके अंदर के कणों के ऊपर निर्भर करता है अगर इन ठोस पदार्थो में कण अथवा अणु कम संख्या में उपब्ध है तो उसका आकार और आयतन काम होगा।
लेकिन अगर किसी ठोस पदार्थ के अंदर इन बारीक कणों की संख्या बहुत अधिक होगी तो इनका आयतन और आकार भी अधिक होगा।
ठोस पदार्थों के कुछ उदाहरण इस प्रकार से हैं – पत्थर, हेल्मेंट, बैट, बस आदि
2) द्रव – द्रव पदार्थ उन पदार्थों को कहा जाता है जिनमे बारीक कणों की संख्या अथवा उनके बीच संबंध ठोस पदार्थों की तुलना में कम हो और द्रव पदार्थों के भीतर के कारण गतिमान होते हैं।
इस प्रकार के पदार्थों का कोई निश्चित आकार नहीं होता और द्रव पदार्थों को जिस चाहे उस आकार में ढला जा सकता है जिसका प्रमुख कारण उसके अंदर के गतिमान कण हैं लेकिन द्रव पदार्थों का आयतन निश्चित होता है।
3) गैस – जिन पदार्थों के अंदर के कणों का बीच का संबंध ठोस और द्रव पदार्थों की तुलना में कम हो अतः उनके अंदर के कण बहुत अधिक गतिमान हो तो उन्हें गैस पदार्थ कहा जाता है।
गैसीय पदार्थों का ना तो निश्चित आकार होता है और ना ही इनका निश्चित आयतन होता है। और इसी कारण से इन्हे गैसीय पदार्थ कहा जाता है।
प्रत्येक पदार्थ सिर्फ तीन अवस्था में रह सकते हैं जोकि – ठोस अवस्था, द्रव अवस्था, और गैस की अवस्था है।
रासायनिक आधार पर पदार्थों के प्रकार – रासायनिक आधार पर पदार्थों को दो भागों में बांटा जाता है जिनका वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है –
1) शुद्ध पदार्थ – शुद्ध पदार्थ उन पदार्थों को कहा जाता है जिनके भीतर समान प्रकार के कण होते हैं और इन पदार्थों की समान संरचना और समान गुण होते हैं ऐसे पदार्थों को शुद्ध पदार्थ कहा जाता है।
शुद्ध पदार्थों का एक उदाहरण चीनी और नमक है क्योंकि चीनी और नमक दोनों ही शुद्ध पदार्थ का एक रूप है और यह दोनों किसी विशेष तापमान पर ही अपनी अवस्था में परिवर्तन लाते हैं या करते हैं।
उदाहारण के लिए – 100 डिग्री सेल्सियस पर पानी वाष्प में बदल जाता है और जैसे ही जीरो डिग्री सेल्सियस पर पानी को रखा जाता है तो वह बर्फ का रूप ले लेता है।
शुद्ध पदार्थ दो प्रकार होते है –
a) तत्व पदार्थ – वह शुद्ध पदार्थ जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने हुए होते हैं उन्हें तत्व पदार्थ कहा जाता है जैसे हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, में से किसी एक से ही बनने वाले पदार्थ।
b) यौगिक पदार्थ – यौगिक पदार्थ उन पदार्थों को कहा जाता है जो 1 से अधिक प्रकार के परमाणु के रसायनिक संयोग से बने हुए होते हैं। बिना रासायनिक सयोंग के योगिक पदार्थो का निर्माण नहीं हो सकता।
2) अशुद्ध पदार्थ या मिश्रण पदार्थ – अशुद्ध पदार्थ उन पदार्थों को कहा जाता है जिन पदार्थों का निर्माण अन्य पदार्थों के कणों के मिलने से होता है अशुद्ध पदार्थ का घटक किसी भी अनुपात में उपस्थित हो सकता है। इसके अलावा एक अशुद्ध पदार्थ को भौतिक संसाधनों से अलग माना जाता है।
एक अशुद्ध पदार्थ अपने घटक की व्यक्तिगत संपत्तियों को बनाए रखता है उदाहरण के लिए लोहे और रेत के गुण तब नहीं बदलते जब वह एक साथ मिश्रित होते हैं उनके गुण पहले के एक जैसे ही रहते हैं।
अशुद्ध पदार्थ दो प्रकार के होते है –
1) समांगी मिश्रण – जब दो पदार्थ आसानी से एक दूसरे में घुल जाते हैं तो ऐसे पदार्थों को समांगी मिश्रण या समांगी पदार्थ कहा जाता है जैसे चीनी का पानी में मिलना और नमक का पानी में घुलना, यह समांगी मिश्रण के उदाहरण हैं।
2) बिषमांगी मिश्रण – जब दो पदार्थ आसानी से मिश्रित नहीं होते तो ऐसे पदार्थों को विषमांगी मिश्रण अथवा विषमांगी पदार्थ कहा जाता है। बिषमांगी पदार्थों में हमेशा दो पदार्थो को लिया जाता है।
उदाहरण के लिए मिट्टी और रेत और तेल और पानी। जब तेल और पानी को मिश्रित किया जाता है तो यह एक दूसरे के साथ मिश्रित नहीं होते पानी नीचे रह जाता है और तेल ऊपर आ जाता है जिसके कारण यह विषमांगी पदार्थों में आते है।
पदार्थों की अवस्थायें –
1) ठोस अवस्था – पदार्थों की जिस अवस्था में पदार्थों की पहचान उसकी संरचनात्मक दृढ़ता और विकृति के अवरुद्ध के गुणों के आधार पर की जाती है तो उस अवस्था को उस पदार्थ की ठोस अवस्था कहा जाता है पदार्थों की इस अवस्था में ठोस पदार्थ में उच्च यंग मापक और अपरूपता मापक होते हैं। ठोस अवस्था में पदार्थों का आकर और आयतन नियमित होते है।
2) तरल अवस्था – जिस अवस्था में पदार्थों का आकार और आयतन अनियमित होता है वह अवस्था पदार्थों की तरल अवस्था कहलाती है।
3) वाष्प या गैसीय अवस्था – जब किसी पदार्थ को उसके क्रांतिक बिंदु से कम ताप पर डाला जाता है और उस पदार्थ को गैस की अवस्था में लाया जाता है तो वह अवस्था उसकी वाष्प अवस्था कहलाती है। इस अवस्था में कण एक दूसरे से काफी दूरी पर रहते है।
4) प्लाज़्मा अवस्था – यह पदार्थों की चौथी अवस्था है। जब पदार्थ में उपस्थिति परमाणु अपनी आयनिक अवस्था में रहना शुरू कर दे तो उस अवस्था को प्लाज्मा अवस्था कहा जाता है इसमें सभी पदार्थ अलग अलग अलग अवस्था में रहते हैं।
इसके अलावा भी पदार्थों को अन्य अवस्थाओं में भी बांटा जाता है जोकि निम्नलिखित है – हालाँकि इन अवस्थाओं का किताबों में बहुत कम वर्णन देखने को मिलता है –
5) बोस – आइंस्टाइन संघनन अवस्था – जब पदार्थों को परम् शून्य के ताप तक ठंडा कर दिया जाता है तो उस अवस्था को बोस-आइंस्टाइन संघनन अवस्था कहा जाता है।
6) बोस – आइंस्टीन कंडन्सेट अवस्था – इस अवस्था में भी पदार्थों को शून्य के तापमान तक रखा जाता है।
7) फर्मियोनिक कंडन्सेट अवस्था – यह एक अतिद्रव अवस्था है।
8) अतिद्रव अवस्था – जब पदार्थ बहुत अधिक द्रव अवस्था में होते है तो उस अवस्था को अतिद्रव अवस्था कहा जाता है।
9) अतिठोस अवस्था – जब पदार्थ बहुत अधिक थोड़ अवस्था में होते है तो उस अवस्था को अतिठोस अवस्था कहा जाता है।
10) डीजेनेरेट पदार्थ अवस्था – जिस अवस्था में पदार्थों का घनत्व इतना अधिक होता है कि उसका ज्यादातर भाग पाउली अपवर्जन नियम से उत्पन्न होता है तो इस अवस्था को डीजेनेरेट पदार्थ अवस्था कहते हैं।
11) क्वार्क-ग्लूऑन प्लाज्मा अवस्था – जिस अवस्था में प्रोटोन को बहुत अधिक तापमान या बहुत अधिक घनत्व प्रदान किया जाता है तो ऐसी अवस्था को क्वार्क-ग्लूऑन प्लाज्मा अवस्था कहते हैं। भौतिकी के मानक प्रारूप के अनुसार इस अवस्था को पदार्थ की पांचवी अवस्था कहा जाता है।
12) स्ट्रेन्ज पदार्थ अवस्था – जब कोई कोई पदार्थ उच्च कार्क, निम्न कॉर्क और स्ट्रेंज कॉर्क से बना होता है तो वह स्ट्रेन्ज पदार्थ अवस्था में होता है।
13) सुपरक्रिटिकल द्रव अवस्था – जब कोई पदार्थ संकट बिंदु से ऊपर की किसी पदार्थ की अवस्था में पहुंचता है तो उसे सुपरक्रिटिकल द्रव अवस्था कहा जाता है।
14) कोलॉयड अवस्था – जब किसी रासायनिक मिश्रण में एक पदार्थ दूसरे पदार्थ के साथ मिश्रण में मिल जाता है तो को उन पदार्थों की उस अवस्था को कोलॉयड अवस्था कहा जाता है।