पर्यावरण का अर्थ व परिभाषा – हमारे आस पास के भिभिन्न प्रकार के वातावरण को पर्यावरण कहा जाता है। पर्यावरण शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है – ‘ हमारे आस पास का आवरण।‘
पर्यावरण शब्द की उत्तपति अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘Environment’ से हुई है और अंग्रेजी भाषा के इस Environment शब्द की उत्तपत्ति फ्रेंच भाषा के शब्द ‘Environner’ से जिसका अर्थ होता है, हमारे चारो तरफ।
पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – परि + आवरण जिसमे परि का अर्थ है चरों तरफ से तथा आवरण का अर्थ घिरा हुआ। अर्थात पर्यावरण का शब्दिक अर्थ हुआ – चारों से तरफ से घिरा हुआ। हमारे आस पास जो भी वस्तु है चाहे वह प्राकर्तिक हो या मानव निर्मित हमारे पर्यावरण का एक भाग है – जैसे – नदी, पुस्तक, कपड़े, जानवर आदि।
पर्यावरण के प्रकार
संसार में पर्यावरण को प्रया: तीन प्रकार का माना जाता है और पर्यावरण के इन सभी रूपों को एक दूसरे का पूरक माना जाता है –
क) प्राकृतिक पर्यावरण
ख) मानव निर्मित पर्यावरण
ग) समाजिक पर्यावरण
पर्यावरण के तीनों रूपों का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार से है –
क) प्राकृतिक पर्यावरण – हमारी पृथ्वी पर बहुत सी ऐसी वस्तुएं उपलब्ध है जोकि प्राकृतिक है। प्राकृतिक का अर्थ होता है – प्रकृति के द्वारा निर्मित। अर्थात प्रकृति के द्वारा जितनी भी वस्तुयें जैसे – नदी, तालाब, पेड़, महासागर, पहाड़, पथर आदि निर्मित किये गए है वह हमारा प्राकृतिक पर्यावरण है।
प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत उन सभी जैविक एवं अजैविक तत्वों को शामिल किया जाता है जोकि पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप में पाए जाते है। जैविक तत्वों में – पौधे, जीव, जंतु आदि शामिल है तथा अजैविक तत्वों में वायु, ऊर्जा, प्राकृतिक गैसें आदि तत्व पाए जाते है।
यह सभी जैविक वह अजैविक तत्व मिलकर जिस पर्यावरण का निर्माण करते हैं वह प्राकृतिक पर्यावरण कहलाता है।
ख) मानव निर्मित पर्यावरण – मानव के द्वारा निर्मित पर्यावरण को मानव निर्मित पर्यावरण कहा जाता है। मानव निर्मित पर्यावरण में वह सभी वस्तुएं, स्थान आदि शामिल है जो मानव ने इस धरती पर आने के बाद बनाये। मानव निर्मित पर्यावरण में आने वाले तत्व है – सड़कें, गाड़िया, पुल, खेत, शहर आदि।
विश्व में जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण विश्व भर में आर्थिक विकास की गति तेजी से बढ़ रही है जिस कारण से मानव निर्मित पर्यावरण का क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है।
ग) समाजिक पर्यावरण – हमारे आस पास कई प्रकार के लोग रहते है जोकि हमारे वह उनके द्वारा बनाए गए समाज का निर्माण करते है, इस समाज की सफलता और विफलता दोनों पक्षों की समान भागीदारी पर निर्भर करती है। हमारे द्वारा अपने अस पास बनाये गए इस समाजिक आवरण को ही समाजिक पर्यावरण कहा जाता है।
समाजिक पर्यावरण में – रीती रिवाज, धर्म, भाषा आदि तत्वों की महवपूर्ण भूमिका होती है और इन तत्वों को एक तरफ रखकर समाजिक पर्यावरण का निर्माण करना सम्भव नहीं है। इन तत्वों को किसी समाजिक पर्यावरण का ह्रदय कहा जा सकता है, क्यूंकि इनके बिना किसी समाजिक पर्यावरण की कल्पना करना मुश्किल है।
पर्यावरण की सरंचना और पर्यावरण के मुख्य घटक
पर्यावरण का निर्माण बहुत से घटको से मिलकर हुआ है और इन घटकों के बिना पर्यावरण का किसी भी प्रकार का कोई अस्तित्व नहीं है। पर्यावरण की सरंचना करने वाले इन सभी मुख्य घटकों का वर्णन निम्न्लिखित प्रकार से है –
1) स्थलमंडल – स्थलमंडल का अर्थ है पृथ्वी पर पाया जाने वाला भूमि का भाग। पृथिवी पर 71.8% पानी है जबकि 29.2% स्थल उपलभ्ध है। इस छोटे से भाग पर ही सम्पूर्ण विश्व के देश रहते है, जिव जंतु रहते है, पेड़ पौधे है। पृथ्वी पर उपलब्ध इसी भूमि के भाग को स्थलमंडल कहा जाता है।
स्थलमंडल इस धरती पर रहने वाले जीवों को दो प्रकार से मदद करता है फिर चाहे वह धरती के जीव हो या जलीय जीव हो –
(A) स्थल मंडल इन सभी जीवों के आवास का एक साधन है।
(B) स्थल मंडल जलीय वह स्थलीय जीवों के खनिज का एक स्त्रोत है।
2) जलमंडल – जलमंडल का अर्थ है पृथ्वी का जल से घिरा हुआ भाग। पृथ्वी पर उपलब्ध पानी बहुत से जगहों में पाया जाता है जैसे – झीलों, नदियों, तालाबों आदि में और यह पानी स्थलीय और जलीय जीवों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्यूंकि पानी के बिना इन जीवों की कल्पना करना कठिन है।
3) वायुमंडल – वायुमंडल में बहुत सी गैसें उपलब्ध है जैसे ऑक्सीजन, कार्वन डाईऑक्सीड आदि। और इनमे से बहुत सी गैसें मानव जीवन और अन्य जिव जंतुओं के लिए अत्यंत महवपूर्ण है और इन गैसों के बिना जिव जंतुओं की कल्पना तक नहीं की जा सकती।
वायुमंडल में पाई जाने वाली मुख्य गैसों का वर्णन निम्नलिखित है –
- नाइट्रोजन (Nitrogen) – 78.084%
- ऑक्सीजन (Oxygen) – 20.946%
- आर्गन (Argon) – 0.9340%
- कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) – 0.041500%
- नीयन (Neon) – 0.001818%
- हीलियम (Helium) – 0.000524%
- मीथेन (Methane) – 0.000187%
- क्रीप्टोन (Krypton) – 0.000114%
वायुमंडल को निम्नलिखित तीन भागों में भिवाजित किया है
क) क्षोभमंडल – वायुमंडल की सबसे निचली परत को क्षोभमंडल कहा जाता है। क्षोभमंडल में तापमान के गिरने की दर 165 मीटर की ऊंचाई पर 1 डिग्री सेल्सियस तथा 1 किलोमीटर पर 6.4 डिग्री सेल्सियस होती है।
ख) समताप मंडल – क्षोभमंडल के ऊपर समताप मंडल पाया जाता है। इस परत में तापमान लगभग समान ही पाया जाता है जिस कारण इसे समताप मंडल कहा जाता है। इस परत में अजोन गैस पाई जाती है जिस कारण इसे ozonosphere भी कहा जाता है जिसका अर्थ है ओज़ोन की परत।
ग) मध्यमंडल – समताप मंडल के बाद मध्यमंडल पाया जाता है और यहाँ तापमान बिलकुल ही गिर जाता है। मध्यमंडल की ऊपर की सिमा 90 डिग्री सेल्सियस पर निर्धारित है और इसकी इसी ऊपरी सिमा को मेसोपोज जगहों कहा जाता है।
घ) तापमण्डल – मध्यमंडल के ऊपर का भाग तापमण्डल कहलाता है और तापमण्डल की ऊंचाई अभी तक निश्चित नहीं है। तापमण्डल पर जैसे जैसे ऊपर जाया जाता है वैसे वैसे तापमान भी बढ़ता जाता है। तापमण्डल को प्रया: दो भागों में बनता बांटा जाता है – (1) आयनमंडल (2) बहायमंडल।