इस आर्टिकल में आज हम आपको रौद्र रस के बारे मे बताने जा रहे हैं, आप इस आर्टिकल में रौद्र रस की परिभाषा तथा रौद्र रस के अवयव के बारे में उदाहरण सहित पढ़ने वाले हैं अतः इस आर्टिकल के अंतिम शब्दों तक जरूर पढ़ें।
रौद्र रस की परिभाषा
जिस काव्य रचना अथवा पंक्तियो को सुनकर अथवा पढ़कर आपके मन मे जो क्रोध का भाव उत्पन्न होता है वह रौद्र रस के कारण ही होता है।
जब भी कोई व्यक्ति अथवा कोई समूह आपकी बुराई करता है अथवा आपको बेइज्जत करने का प्रयास करता है तो उनके प्रति आपके मन मे क्रोध के कारण को रस जाग्रत होता है तो उसे रौद्र रस कहा जाता है।
उदाहरण
खून उसका उबल रहा था।
मनुष्य से वह दैत्य में बदल रहा था॥
व्याख्या
उपर्युक्त पंक्तियों में स्पष्ट किया जा रहा है कि कवि ने जिसके बारे में वर्णन किया है उसके सामने इस दृश्य है उसको देखकर उसका रक्त बहुत तेजी से उबल रहा है तथा उसके अंदर क्रोध इतना अधिक बढ़ता जा रहा है कि वह रौद्र रूप धारण करने वाला है।
उदाहरण
सुनत लखन के बचन कठोर। परसु सुधरि धरेउ कर घोरा ।
अब जनि देर दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालक बध जोगू ।।
व्याख्या
उपरोक्त प्रसंग सीता स्वयंवर में राम के द्वारा धनुष को तो तोड़ देने के बाद का है जिसमे लक्ष्मण जी के द्वारा परशराम जो को कठोर वचन सुनाए जाने के बाद परशुराम जी इतना भड़क जाते हैं कि वह लक्ष्मण का वध करने के बारे में शोचने लगते हैं। यह दृश्य देखकर दरबार में मौजूद सभी राजा और राजकुमार भय के कारण कापने लगते हैं क्योंकि सभी लोग परशुराम के क्रोध से भली भांति अवगत हैं।
रौद्र रस के अवयव
स्थायी भाव – क्रोध।
संचारी विभाव :- उग्रता, मोह, आशा, स्मृति, हर्ष, चपलता, भावेग, उत्सुकता, मति, अमर्ष आदि।
अनुभाव :-
- शत्रुओं को ललकारना
- आँख लाल होना
- दांत पीसना
- होठों का फड़फड़ाना
- अस्त्र-शस्त्र चलाना।
- भौंटों का रेढा होना
- आलंबन विभाव :-
- अत्यचरी
- अपराधी व्यक्ति
- दुराचारी
- शत्रु, विपक्षी
- लोक पीड़ा
- अन्यायी इत्यादि।
उद्दीपन विभाव :-
- कठोर वचन
- अनिष्ट कार्य
- अपमानजनक वाक्य।
- निंदा, निम इत्यादि।
इस लेख में आपको रौद्र रस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें।