वचन क्या है, परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण

वचन की परिभाषा

संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और विशेषण के जिन शब्दों के रूपों से संख्या का बोध हो, उसे वचन (Number) कहा जाता है। अन्य शब्दों में,शब्दों के संख्या बोधक विकारी रूप को वचन के रूप में जाना जाता है।

उदाहरण के लिए,गमले से फूलों की सुगंध आ रही है।

इस वाक्य से हमें पता चल रहा है कि यहाँ गमला तो सिर्फ एक है, लेकिन गमले में कई सारे फूल हैं। आगे इस लेख में हम वचन को और भी अधिक उदाहरणों के साथ विस्तार से समझेंगे।

जब संज्ञा अथवा सर्वनाम आदि के किसी एक रूप का बोध हो तो उसे एक वचन कहा जाता है और जब संज्ञा तथा सर्वनाम आदि के एक से अधिक रूपों का बोध हो तो उसे बहुवचन कहा जाता है।

जब किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम आदि की संख्या का बोध हो तो उसे वचन कहा जाता है।

साधारणशब्दोंमेंवचनकीपरिभाषा

जिन शब्द-रूपों से किसी व्यक्ति या वस्तु के एक या अनेक होने का पता चले, उन शब्द-रूपों को वचन कहा जाता है।हिन्दी व्याकरण में वचन के द्वारा संख्या या गिनती प्रतीत होती है।

वचनशब्दकाअर्थ

वचन शब्द के पर्यायवाची अर्थों की बात करें तो इसके चार अर्थ हैं: प्रतिज्ञा, कथन, बोली और संख्या।

इस लेख में हम पहले तीन अर्थों की नहीं, बल्कि चौथे अर्थ ‘संख्या’ की बात कर रहे हैं। हिन्दी व्याकरण में वचन का शाब्दिक अर्थ है- ’संख्यावचन’ जिसे संक्षिप्त में सिर्फ ‘वचन’ कहा जाता है।

वचनकेप्रकार (भेद)

हिन्दी व्याकरण में वचन दो प्रकार के होते हैं: एकवचन और बहुवचन। 

  • एकवचन का उदाहरण – बच्चा पढ़ रहा है, किसान खेती कर रहा है। 
  • बहुवचन का उदाहरण – बच्चे पढ़ रहे हैं, किसान खेती कर रहे हैं। 

उपयुक्त उदाहरणों में एकवचन में सिर्फ एक बच्चे की बात की गई है जबकि बहुवचन में बहुत सारे बच्चों की बात की गई है हालांकि इसमें बच्चों की संख्या पहले से निर्धारित नहीं है। 

बहुवचन में संख्या को निर्धारित भी रखा जा सकता है जैसे – 5 बच्चे पढ़ रहे हैं या एक बच्चा पढ़ रहा है यह एक वचन का उदाहरण है।

1)एकवचन

जिस शब्द-रूप से किसी एक व्यक्ति, वस्तु, पदार्थ या अन्य जीव का पता चलता है, उसे एकवचन कहते हैं। उदाहरण के लिए -सैनिक, मोबाइल, सिंहासन,शेर इत्यादि।

2) बहुवचन

जिस शब्द-रूप से किसी एक से अधिक व्यक्तियों, वस्तुओं या अन्य जीवों का पता चलता है, उसे बहुवचन कहते हैं। उदाहरण के लिए – सेनाएँ,मशीनें,कुर्सियाँ,भेड़िये इत्यादि।

कुछ समय पहले हिन्दी के कुछ विशेषज्ञों द्वारा यह माँग की गयी थी कि वचन के एक और प्रकार ‘द्विवचन’ का भी अध्ययन करना चाहिए। हालाँकि इस संबंध में अब तक कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। अब तक वचन के दो ही प्रकार हैं: एकवचन और बहुवचन।

वचन की पहचान करनेकाक्यानियमहै?

वचन की पहचान करने के लिए भी हिंदी व्याकरण में कुछ नियम बनाए गए हैं। वचन की पहचान हम तीन तरीकों से कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ विशेष शब्दों पर ध्यान देना होता है।

1) संज्ञा अथवा सर्वनाम के द्वारा

– वह पूरा दिन विडियो गेम खेलता रहता है।

– वे लोग पूरा दिन विडियो गेम खेलते रहते हैं।

– यह बच्चा पढ़ रहा है 

– ये बच्चे पढ़ रहे हैं। 

– वह किसान खेत में फसल बो रहा है 

– वे किसान खेत में फसल बो रहे हैं

उपरोक्त दोनों वाक्यों में आप संज्ञा शब्दों (‘वह’ और ‘वे लोग’) पर ध्यान दीजिये। पहले वाक्य में किसी एक व्यक्ति की बात हो रही है लेकिन दूसरे में अनेक व्यक्तियों को संबोधित किया जा रहा है।

2) क्रिया के द्वारा

– खिलाड़ी हॉकी खेल रहा है। – खिलाड़ी हॉकी खेल रहे हैं।

– गायक गाना गा रहा है – गायक गाना गा रहे हैं। 

– किसान हल चला रहा है – किसान हल चला रहे हैं।

इस तरह के वाक्यों में वचन के अनुसार संज्ञा शब्दों में परिवर्तन नहीं होता है। लेकिन फिर भी आप इन्हें क्रिया शब्दों (‘रहा है’ और ‘रहे हैं’) के द्वारा पहचान सकते हैं।

3) आदरसूचकशब्दोंकेद्वारा

आमतौर पर वचन की पहचान करने में ज्यादा मुश्किल नहीं होती है। लेकिन जब वाक्य में आदर सूचक या स्वाभिमान वाले शब्द हों तो एकवचन के स्थान पर बहुवचन शब्दों का प्रयोग होता है।

– भीष्म पितामह पराक्रमी थे,लेकिन ब्रह्मचारी भी थे।

– महाराज ने कहा, “प्रजा से मिलने हम स्वयं जायेंगे!”

पहले उदाहरण में ‘भीष्म पितामह’ एक ही व्यक्ति हैं, लेकिन आदर दर्शाने के लिए ‘था’ के बजाय ‘थे’ का प्रयोग किया गया है।

दूसरे वाक्य में ‘महाराज’ एक ही व्यक्ति है, लेकिन उन्होने अपने स्वाभिमान और आत्मसम्मान के कारण ‘हम’ शब्द का प्रयोग किया है।

वचनकेरूपांतर

वचन के कारण संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और विशेषण के शब्दों में परिवर्तन होता है। समान्यतः,सर्वनाम, क्रिया और विशेषण के शब्द, संज्ञा शब्दों पर ही आधारित होते हैं। इसलिए, अधिकतर समय संज्ञा शब्दों में ही परिवर्तन होते हैं।

वचन के आधार पर संज्ञा शब्दों के रूप दो तरह से बदलते हैं:

1) विभिक्तिरहितरूपांतर

2) विभक्तिसहितरूपांतर

इन दोनों रूपांतरों का विश्लेषण हम इस लेख के अगले खंड में करेंगे, जिससे हमएकवचन से बहुवचन बनाने के नियमों को सरलता से समझ सकेंगे।

वचनरूपांतरकेनियम (एकवचनसेबहुवचनबनानेकेनियम)

1) विभिक्तिरहितसंज्ञाशब्दोंकेबहुवचनबनानेकेनियम

यदि वाक्य के संज्ञा शब्दों में विभक्ति न हो तो निम्नलिखित नियमों के द्वारा बहुवचन बनाए जाते हैं।

क) यदि पुल्लिंग शब्दों के आकारांत शब्दों को एकारांत शब्दों में बदला जाए, तो बहुवचन बनते हैं। जैसे–

  • बच्चा – बच्चे
  • केला – केले
  • रूपया – रूपये
  • किताब – किताबें 
  • बोतल – बोतलें 
  • पुस्तक – पुस्तकें

ख) ऐसे पुल्लिंग शब्द जिनका अंत आकारांत के अलावा अन्य मात्राओं से होता है, उनमें क्रिया का तो परिवर्तन होता है, लेकिन संज्ञा शब्द एक जैसे बने रहते हैं। जैसे –

  • हाथी चलता है – हाथी चलते हैं।
  • पति कमाता है – पति कमाते हैं।
  • उल्लू उड़ता है – उल्लू उड़ते हैं।
  • बैल हल खींचता है – बैल हल खींचते हैं। 
  • राकेश पुस्तक पढता है – राकेश पुस्तकें पढता है।

ग) अकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत के ‘अ’में’एँ’जोड़ देने पर बहुवचन बनते हैं। जैसे –

  • रात – रातें
  • बहन – बहनें
  • सड़क – सड़कें

घ) आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत के ‘आ’ को ’एँ’में बदल देने पर बहुवचन बनते हैं। जैसे –

  • माता- माताएँ
  • पत्रिका –पत्रिकाएँ
  • कामना–कामनाएँ

ङ) ऐसे स्त्रीलिंगशब्द जिनके अंत में ‘या’ हो, उनके ‘या’ के ऊपर चन्द्र-बिन्दु लगा कर बहुवचन बनाया जाता है। जैसे –

  • चिड़िया – चिड़ियाँ
  • गुड़िया – गुड़ियाँ
  • डिबिया – डिबियाँ

च)इकारांतयाईकारांतवाले स्त्रीलिंगशब्दों के अंतिम’इ’या’ई’को’इयाँ’करके बहुवचन बनाया जाता है। जैसे –

  • नारी – नारियाँ
  • जाति–जातियाँ
  • रीति – रीतियाँ

छ) उकारान्तएवंऊकारान्तस्त्रीलिंगशब्दों के अंत में ‘उ’ या ‘ऊ’ होते हैं, इन दोनों को बदल कर ‘उ’ जोड़ दिया जाता है और ’एँ’ लगा कर बहुवचन बनाया जाता है। जैसे –

  • वधू- वधुएँ
  • वस्तु- वस्तुएँ
  • सेतु – सेतुएँ

ज) संज्ञा के कुछ स्त्रीलिंग और पुल्लिंग शब्दों में गुण, वर्ण, भावआदि लगा कर भी बहुवचन बनाने की प्रक्रिया है। जैसे –

  • अतिथि – अतिथिगण
  • व्यापारी – व्यापारीवर्ग
  • गुरु – गुरुजन

झ) इन सब नियमों के अलावा आपको कई जगह कुछ अपवाद भी देखने को मिलेंगे, जिनमें वचन के आधार पर संज्ञा शब्दों में कोई बदलाव नहीं होता है। जैसे –

  • योद्धा इस रणभूमि पर लड़ा –‘योद्धा’ इस रणभूमि में लड़े।
  • वो तुम्हारे नाना हैं –तुम सभी लोगों के‘नाना’ आये हुए हैं।
  • मेरी आत्मा मेरे अंदर है –‘आत्मा’ दूसरे आयाम में रहते हैं।

2) विभिक्तिसहितसंज्ञाशब्दोंकेबहुवचनबनानेकेनियम

यदि वाक्य के संज्ञा शब्द विभक्तियों से युक्त हों, तो निम्न नियमों का पालन किया जाता है।

क) हिन्दी के अकारान्त, आकारान्तऔर एकारान्त संज्ञा शब्दों के अंत के ‘अ’, ‘आ’ या’ए’ को ‘ओं’ कर देने पर बहुवचन बनते हैं। जैसे –

  • भेड़िया – भेड़ियों
  • मकान – मकानों
  • कामगार – कामगारों

ख) संस्कृत एवं हिन्दीकीसभीउकारान्त, ऊकारान्त शब्दों के अंत में ‘उ’ के साथ ‘ओं’ जोड़ कर बहुवचन बनाया जाता है।

  • साधु–साधुओं
  • डाकू – डाकुओं
  • वधू -वधुओं

ग) इकारान्तऔरईकारान्तसंज्ञाओं को बहुवचन में बदलने के लिए अंत में ‘यों’ को जोड़ा जाता है। लेकिन इससे पहले, यदि अंत में ‘ई’ हो तो उसे ‘इ’ में बदल दिया जाता है।

  • गली-गलियों
  • मुनि -मुनियों
  • नदी–नदियों

दैनिकजीवनमेंवचनकामहत्व

हमारे दैनिक जीवन में वचन का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि हमारे वार्तालाप में हमें हमेशा लोगों या वस्तुओं की संख्या का जिक्र करना होता है। यही कारण है कि वचन हमारे आरंभिक शिक्षा से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक में शामिल होता है।

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