अपहूँति अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है, अपहूँति का अर्थ होता है छिपाव अथवा छिपाना। इस आर्टिकल में हम अपहूँति अलंकार की परिभाषा तथा अपहूँति अलंकार के प्रकार के बारे में पढ़ने वाले हैं। इस टॉपिक से सम्बंधित समस्त जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी।
अपहूँति अलंकार की परिभाषा
जब किसी सही बात या सही वस्तु को छिपाकर अथवा निषेध बताकर उसके स्थान पर किसी गलत अथवा झूठी बात या वस्तु की स्थापना की जाती है वहाँ पर अपहूँति अलंकार होता है। अपहूँति का वास्तविक अर्थ छिपाना होता है।
अपहूँति अलंकार के उदाहरण
नहिं पलास के पुहुप ये, हैं ये जरत अँगार।
दिए गये इस वाक्य में पलाश के पुष्प का निषेध करने के बाद यहाँ पर जलते हुए अंगार को स्थापित किया गया है अतः यह अपहूँति अलंकार का उदाहरण है।
सुनहु नाथ रघुवीर कृपाला,
बन्धु न होय मोर यह काला।
उपर्युक्त दिए गए इस वाक्य में सुग्रीव भगवान श्री राम जी से कहते है प्रभु मैने तो आपसे पहले ही कहा था कि वाली मेरा भाई नही मेरा काल है। यहाँ पर वाली की तुलना भाई को निषेध करके काल से की गई है अतः यह अपहूँति अलंकार का उदाहरण है।
अपहूँति अलंकार के प्रकार
अपहूँति अलंकार को दो भागों में बांटा गया है-
- शाब्दी अपहूँति
- आर्थी अपहूँति
1. शाब्दी अपहूँति
जिस वाक्य में शब्दों का निषेध किया जाता है वहाँ पर शाब्दी अपहूँति अलंकार होता है।
2. आर्थी अपहूँति
जिस वाक्य में बहाना, झूठ, छल इत्यादि का निषेध किया जाता है वहाँ पर आर्थी अपहूँति अलंकार होता है।
इस लेख में हमने आपको अपहूँति अलंकार के बारे में उदाहरण सहित समस्त जानकारी दी है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।