अलंकार के सबसे महत्वपूर्ण प्रकार शब्दालंकार के बारे में अब हम पढ़ने वाले हैं। शब्दालंकार दो शब्दों शब्द तथा अलंकार से मिलकर बना होता है। शब्दालंकार में पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता है। आप इस लेख में शब्दालंकार की परिभाषा तथा उसके प्रकार के बारे में जानेंगे।
शब्दालंकार की परिभाषा
शब्दालंकार, अलंकार का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है, शब्दालंकार की उतपत्ति दो शब्दों शब्द और अलंकार के योग से होती है। जब कोई अलंकार किसी खास स्थिति में होता है तथा उस काव्य में प्रयुक्त शब्दो के स्थान पर उन शब्दों के समानार्थी अथवा पर्यायवाची शब्दो का प्रयोग करके उसका रूप पूरी तरह से बदल जाये अर्थात उन शब्दों का अस्तित्व ही न रहे तो वह शब्दालंकार कहलाते हैं।
साधारण भाषा में कहे तो जिस अलंकार में शब्दों के सहज प्रयोग से जो चमत्कार होता है तथा जब उन्ही शब्दो के पर्यायवाची शब्दो का प्रयोग किया जाता है तो चमत्कार समाप्त हो जाता है इस प्रकार के अलंकार को शब्दालंकार कहते हैं।
शब्दालंकार के प्रकार
शब्दालंकार के प्रकार की बात करे तो इसके मुख्यतः 6 प्रकार हैं-
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- पुनरुक्ति अलंकार
- विप्सा अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
- श्लेष अलंकार
1. अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार की उत्तपत्ति अनु और प्रास दो शब्दों से मिलकर हुई है। यहाँ पर अनु का अर्थ है बार – बार तथा प्रास का अर्थ है वर्ण।
अर्थात जब वाक्य में कोई वर्ण बार – बार आता है अथवा किसी वर्ण की आवर्त्ति होती है। वहा पर अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण –
तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।
उपर्युक्त दिए गए उदाहरण में त शब्द की आवर्त्ति हुई है अतः यहाँ पर अनुप्रास अलंकार है।
अनुप्रास अलंकार के प्रकार
अनुप्रास अलंकार के पॉंच प्रकार हैं जो कि निम्नलिखित है।
- छेकानुप्रास
- वृत्यानुप्रास
- श्रुत्यनुप्रास
- अन्त्यानुप्रास
- लाटानुप्रास
2. यमक अलंकार
यमक शब्द का अर्थ दो होता है, जब किसी वाक्य में कोई शब्द अथवा वर्ण दो अथवा दो से अधिक बार प्रयोग में आता है तथा प्रत्येक बार सु शब्द का अर्थ अलग – अलग होता है तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है।
उदाहरण –
कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराए नर, वा पाये बौराये।।
उपर्युक्त दिए गए वाक्य में कनक शब्द का प्रयोग दो बार किया गया है जिसमे पहले कनक का अर्थ धतूरा है तथा दूसरे कनक का अर्थ सोना है। यहाँ पर दोनों बार एक ही शब्द के अर्थ अलग – अलग है अतः यहाँ पर यमक अलंकार है।
3. पुनरुक्ति अलंकार
पुनरुक्ति अलंकार पुनः और उक्ति दो शब्दों के मिलने से बना है जिस वाक्य में कोई शब्द दो बार दोहराया जाता है तो वहाँ पर पुनरुक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण –
ठौर-ठौर विहार करती सुन्दरी सुरनारियाँ।
ऊपर दिए गए वाक्य में ठौर शब्द जो कि एक ही है का प्रयोग दो बार किया गया है अतः यहा पर पुनरुक्ति अलंकार है।
4. विप्सा अलंकार
जब किसी वाक्य में हर्ष, आदर, दुःखी, शोक इत्यादि विस्मयबोधक शब्दो का प्रयोग भावों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जिससे शब्दो की पुनरावृत्ति होती है तो वहाँ पर विप्सा अलंकार होता है।
उदाहरण –
हा! हा!! इन्हें रोकन को टोक न लगावो तुम।
यह पर हा! शब्द की पुनरावृत्ति हुई है जो कि विस्मयबोधक शब्द है अतः यह विप्सा अलंकार के अंतर्गत आएगा।
5. वक्रोक्ति अलंकार
जिन वाकयों में वक्ता के द्वारा बोले जाने वाले शब्दो का स्रोता सुनने वाले के द्वारा अलग अर्थ निकाले जाते हैं। तो वहाँ पर वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण –
एक कह्यौ वर देत भव भाव चाहिए चित्त।
सुनि कह कोउ भोले भवहिं भाव चाहिए मित्त।।
वक्रोक्ति अलंकार के प्रकार
वक्रोक्ति अलंकार के दो प्रकार हैं।
- काकु अक्रोक्ति अलंकार
- श्लेष वक्रोक्ति अलंकार
6. श्लेष अलंकार
यदि किसी वाक्य में कोई शब्द एक ही बार प्रयोग में आया हो तथा उसके कई सारे अलग – अलग अर्थ निकाले जाए तो वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।
उदाहरण –
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।
उपर्युक्त दिये गए वाक्य में पानी शब्द का प्रयोग एक बार किया गया है उसके यहाँ पर कई अर्थ हैं। मानुज के लिये मान, सीप के लिये मोती, आटे के लिए जल इसलिए यहाँ पर श्लेष अलंकार है।
आज इस लेख में हमने आपको शब्दालंकार तथा उसके प्रकार के बारे में उदाहरण सहित सम्पूर्ण जानकारी दी गई है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।