हमारे भारत देश में हस्तरेखा का प्राचीन समय से ही बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है भारतीय ज्योतिष शास्त्रों में हस्तरेखा मानव जीवन में एक अभिन्न अंग माना जाता है, क्योंकि “Hast Rekha Vidhi ” से मानव के वर्तमान समय,
भविष्य काल, को देखकर उन घटनाओं के बारे में पता लगाया जा सकता है, जो घटनाएं आगे घटित होने वाली है।
यदि कोई भी व्यक्ति हस्तरेखा की विधि जानता है, तो किसी भी मानव की हस्तरेखा को देखकर उसके भविष्य का पता लगा सकता है, आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि हस्तरेखा विधि क्या होती है ? Hast Rekha Ka Gyan कैसे ले और Hast Rekha Kaise Dekhte Hai ?
हस्तरेखा विधि क्या होती है ?
हस्तरेखा विधि यानी हाथ देखने या पढ़ने की एक विधि होती है, हस्तरेखा से यह पता लगाया जा सकता है कि भविष्य में कौन सी घटनाएं घटित होने वाली है। मानव की हथेली में रेखाओं की बनावट से मानव जीवन का विवाह, संतान, कार्य क्षेत्र, शिक्षा आदि का पता लगाया जा सकता है।
इसलिए अधिकतर लोग हस्तरेखा देखने वाले ऋषियों को अपना हाथ दिखाते हैं, ताकि वह बता सके कि उनके आने वाले जीवन में कौन सी घटनाएं घटित होने वाली है वह उनका उपचार भी बताते हैं।
Hast Rekha Ka Gyan – हस्तरेखा का ज्ञान कैसे ले ?
मानव के हाथ में दो तरह की हस्त रेखाएं होती है, जिनसे उनके कार्यक्षेत्र, विवाह, संतान, शिक्षा का अनुमान लगाया जा सकता है मानव के हाथ में दो रेखाएं होती है एक बड़ी हस्त रेखाएं और दूसरी छोटी हस्त रेखाएं। आज हम दोनों रेखाएं पढ़ने की विधि को जानेंगे।
बड़ी हस्तरेखा पढ़ने की विधि क्या है ?
1) बड़ी हस्तरेखा – ह्रदय रेखा (Heart Line)
बड़ी हस्तरेखा की विधि में बड़ी रेखाएं देखी जाती है जो व्यक्ति के स्वभाव को दर्शाती है यह बड़ी हस्तरेखा छोटी उंगली के नीचे से निकलती है जिसे कनिष्का का नाम दिया गया है जिस इंसान की यह ह्रदय रेखा अधिक लंबी
होती है वह व्यक्ति उतना समझदार और शांत स्वभाव का होता है, इस रेखा से यह अनुमान लगाया जाता है कि मानव का स्वभाव, बोल, प्रेम, भाव कैसा है।
इस रेखा को “ह्रदय रेखा” कहा जाता है, जिन व्यक्तियों की यह हृदय रेखा छोटी होती है वह अधिक सोचते हैं और जल्दी किसी पर विश्वास नहीं करते। वह काफी सोच – विचार कर के कदम उठाते हैं।
2) मस्तिष्क रेखा (Mind Line)
मानव के हाथ में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण रेखा होती है “मस्तिष्क रेखा” यह मस्तिष्क रेखा जितनी अधिक लंबी होती है उस इंसान का मानसिक संतुलन काफी अच्छा होता है और वह सभी काम समझदारी से करता है।
ऐसी रेखा वाले व्यक्ति अपनी मेहनत पर विश्वास करते हैं और सभी कार्य पूरी लगन के साथ करते हैं। वह किस्मत पर भरोसा ना करके अपनी मेहनत से अपने भाग्य को बनाते हैं। यह मस्तिष्क रेखा हाथ के बीचो – बीच होती है और की तरफ से लेकर नीचे की तरफ आती है।
ऐसी मस्तिष्क रेखा वाले मानव पूरी सूझबूझ के साथ कार्य करते हैं।
3) भाग्य रेखा (Fate Line)
हाथ के निचले वाले भाग को “मणिबंध” कहते हैं यह भाग्य रेखा हर किसी के हथेली में नहीं होती, जिन व्यक्तियों के हाथ में यह भाग्य रेखा होती है उनको अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती उन्हें वैसे ही सब कुछ मिल जाता है।
लेकिन जिन व्यक्तियों के हाथ से यह भाग्य रेखा नहीं होती है उन्हें अपना जीवन काफी संघर्ष करके बिताना पड़ता है और उनका जीवन पूरा संघर्ष से भरा होता है। यह भाग्य रेखा हथेली के नीचे से होकर गुजरती है ऐसी
हस्तरेखा वाले व्यक्ति दूसरों की सहायता करते हैं और उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।
4) विवाह रेखा (Marriage Line)
जैसे इस विवाह रेखा के नाम से ही पता चलता है कि यह विवाह का भविष्य बताती है। यह विवाह वाली रेखा चीची उंगली के साथ छोटी-छोटी हस्त रेखाएं होती है। कहा जाता है कि यह रेखाएं व्यक्ति के प्रेम संबंध को बताती
हैं इस “विवाह हस्त रेखा” को “प्रेम रेखा” भी कहते हैं जो व्यक्ति के प्रेम, विवाह भाग्य को दर्शाती हैं।
यदि यह छोटी-छोटी रेखा कहीं भी टूटी – फूटी होती है तो इस बात की संभावना होती है कि प्रेम में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं यदि दोनों हाथों में यह रेखाएं एक बराबर होती है तो आपका जीवन अच्छे से बीत जाता है।
5) संतान रेखा (Child Line)
संतान रेखा विवाह रेखा के अंत से ऊपर की ओर जाती है यदि यह हस्त रेखा टेढ़ी-मेढ़ी दिखाई प्रतीत होती है तो यह इस बात का संकेत होता है कि आगे पुत्री का होना है। यह संतान रेखा है जितनी उभरी हुई और स्पष्ट
दिखाई देती है इससे यह पता लगता है कि इससे आपको अपनी संतान से अधिक सुख प्राप्त होगा।
संतान से सुख प्राप्त होने का यह मतलब नहीं है कि आपको दूसरे पुत्र से कम सुख प्राप्त होगा, बाकी संतान के मुकाबले अधिक सुख की प्राप्ति होगी।
6) विद्या रेखा (Learning Line)
विद्या हस्तरेखा मानव की बुद्धिमता को पेश करती है, जो यह स्पष्ट करती है कि मानव शिक्षा में कितना बुद्धिमान है “विद्या रेखा” अनामिका उंगली से शुरू होकर पांचों उंगलियों के मध्य में होती है। यदि किसी व्यक्ति की रेखा में काटी (Cross) का निशान होता है तो इससे यह स्पष्ट होता है कि वह
व्यक्ति शिक्षा में अच्छा नहीं होता और जिन लोगों की हथेली में यह विद्या रेखा नहीं होती वह निर्धन ही अपना जीवन व्यतीत करता है, लेकिन अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है और उसे शिक्षा से सफलता प्राप्त करता है।
7) यात्रा रेखा (Travel Line)
यह यात्रा रेखा मानव जीवन में यात्रा की स्थिति को बताती है, यदि कोई व्यक्ति विदेश जाना पसंद करता है तो यह यात्रा रेखा से स्पष्ट हो जाता है कि वह विदेश में यात्रा करेगा या नहीं। यदि किसी व्यक्ति की हस्तरेखा छोटी
उंगली से निकलकर बुध पर्वत से निकली हुई रेखा अनामिका उंगली के नीचे तक पहुंचती है, तो यह विदेश यात्रा करने का संकेत होता है अगर किसी की हथेली में कोई तिल होता है तो यह भी विदेश में जाने और व्यापार करने का संकेत होता है।
मानव की हथेली पर 7 बड़ी रेखाओं के बाद कुछ छोटी रेखाएं भी होती है, जो मानव जीवन का परिचय और घटनाओं को बताती है।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण हस्तरेखाएं :
सूर्य हस्तरेखा : मानव की हथेली पर यह सूर्य रेखा चंद्र पर्वत से प्रारंभ होकर, अनामिका उंगली तक जाती है यह सूर्य रेखा वाले इंसान कभी भी हार नहीं मानते, संघर्ष वाला जीवन होते हुए भी सफलता प्राप्त करते हैं।
स्वास्थ्य हस्तरेखा : यह स्वास्थ्य रेखा सबसे छोटी उंगली से निकलकर हाथ के नीचे जाती हुई दिखाई पड़ती है। स्वास्थ्य रेखा जितनी अधिक स्पष्ट तरीके से दिखाई देती है मानव का जीवन उतना ही स्वास्थ्य बीतता है। यदि
यह रेखा कही से टूटी – फूटी होती है, तो इससे बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
शुक्र मुद्रिका : यह शुक्र मुद्रिका रेखा उन व्यक्तियों की हथेली पर होती है जो बहुत काफी खर्चा करते हैं और वह भौतिकवादी होते है यह हस्तरेखा कनिष्का की छोटी उंगली से निकलकर अनामिका के मध्य से शुरू होती है,
यह रेखा तर्जनी और चंद्र रेखा अनामिका के मध्य से चंद्र के रूप में दिखाई देती है।
मंगल रेखा : यह मंगल रेखा अंगूठे से निकलकर मंगल पर्वत तक पहुंचती है। यह माना जाता कि यह हस्तरेखा जितनी अधिक साफ़ दिखाई देती है। उससे यह प्रतीत होता है कि मानव उतना ही बुद्धिमान और समझदार होता
है ऐसी रेखा वाले इंसान काफी सोच विचार करके कार्य की शुरुआत करते हैं।
चन्द्र रेखा : चंद्र हस्तरेखा मानव की हथेली पर धनुष्य के आकार का दिखाई पड़ता है। यह रेखा प्रेरणादायक और उन्नति का प्रतीक होता है। यह रेखा छोटी उंगली कनिष्का और अनामिका के मध्य से होकर निकलती है।
निकृष्ट रेखा : यह रेखा दुखदायक और कष्टदायक होती है इसलिए इस रेखा का नाम निकृष्ट रेखा रखा गया है यह रेखा चंद्र रेखा से बढ़ते हुए स्वास्थ्य रेखा के साथ शुक्र स्थान में प्रवेश करती हैं
FAQs About Hast Rekha Ka Gyan :
Q1.ज्योतिष को अपना हाथ कैसे दिखाएं ?
Ans : किसी भी ज्योतिष या ऋषि को अपना हाथ दिखाते समय शांति बनाए रखें, इससे हाथ पढ़ने में दिक्कत आती है हथेलियों को हिलाये नहीं।
Q2. हस्त रेखा कब नहीं दिखाना चाहिए ?
Ans : वैसे तो Hast Rekha देखने का कोई निर्धारित समय नहीं होता, लेकिन प्रातः काल में कभी भी Hast Rekha नहीं दिखाना चाहिए।
Q3.हस्त रेखा में कौन से हाथ में देखा जाता है ?
Ans : विज्ञान के अनुसार Hast Rekha हमेशा पुरुष का दाया हाथ और महिलाओं का बाया हाथ में हस्त रेखा को देखा जाता है।