क्रिया विशेषण किसे कहते हैं भेद, परिभाषा, उदाहरण

जिन शब्दों के प्रयोग से क्रिया की विशेषता का पता चलता है तो उसे क्रियाविशेषण कहा जाता है, जैसे – तुम दिल्ली कैसे-कैसे गए, इस वाक्य में ‘गए’ क्रिया है, और ‘कैसे-कैसे’ उसकी विशेषता है, अतः हम कह सकते हैं कि “कैसे-कैसे” क्रिया विशेषण का एक उदाहरण है। 

क्रिया विशेषण के बारे में चर्चा करने से पहले हमें यह जानने की आवश्यकता है कि क्रिया और विशेषण होते क्या हैं- 

क्रिया – जब किसी शब्द के प्रयोग से किसी काम का करना या होना समझ आ जाए तो उस शब्द को क्रिया कहा जाता है, जैसे – लिखना, खाना, लड़ना आदि। क्रिया शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है – करना। 

विशेषण – जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताएं उन्हें विशेषण कहा जाता है, जैसे – यह काला घोड़ा है, चाय मीठी है। विशेषण शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है – विशेषता या गुण। 

जब क्रिया विशेषण साथ मिलते हैं तो ऐसे शब्दों का निर्माण होता है जो क्रिया की विशेषता बताते हैं, और क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को ही क्रिया विशेषण का नाम दिया जाता है। 

क्रिया विशेषण के उदाहरण (Kriya Visheshan ke udaharan)

वह धीरे-धीरे खाता है

उपयुक्त उदाहरण में ‘खाता’ शब्द क्रिया है, और धीरे-धीरे विशेषण या उसकी विशेषता है

क्रिया विशेषण के प्रकार (Kriya Visheshan ke Prakar)

क्रिया विशेषण चार प्रकार के होते हैं जो कि निम्नलिखित है

(1) स्थानवाचक क्रियाविशेषण

(2) कालवाचक क्रियाविशेषण

(3) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

(4) रीतिवाचक क्रियाविशेषण

(1) स्थानवाचक (Sthan Vachak kriya visheshan)

जिन शब्दों के प्रयोग से क्रिया के संपादित होने के स्थान का बोध हो जाए उन शब्दों को स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहा जाता है, जैसे यहां, वहां, कहां, जहां, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, पीछे, भीतर, बाहर आदि। 

स्थानवाचक क्रियाविशेषण के कुछ उदाहरण – 

राकेश यहां आओ। 

तुलसी तुम वहां क्या कर रही थी। 

बाप ने बेटे से पूछा कि तुम कहां गए थे। 

तुम्हारे सामने कौन खड़ा है। 

अपने नीचे देखो। 

वहां ऊपर कौन है। 

तुम्हारे आगे कौन चल रहा है। 

थोड़ी देर के लिए बाहर आना। 

उपयुक्त प्रत्येक वाक्यों में जिन स्थानों पर यहां, वहां, जहां, सामने, इत्यादि शब्दों का उपयोग हुआ है वह सभी शब्द स्थानवाचक क्रियाविशेषण हैं। 

(2) कालवाचक क्रियाविशेषण (Kal vachak kriya visheshan)

जिन शब्दों के प्रयोग से क्रिया के समय का पता चले तो उन शब्दों को कालवाचक क्रियाविशेषण कहा जाता है। जैसे- परसों, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।

कालवाचक क्रियाविशेषण के उदाहरण – 

परसों हम तमिलनाडु जा रहे हैं। 

पहले उस लड़के ने धक्का दिया। 

मेरे पीछे चलो। 

तुम कब सुधरोगे। 

अब तक मैं 4 बार दिल्ली जा आया हूं। 

बार-बार एक ही सवाल पूछ कर मुझे परेशान मत करो। 

अभी-अभी तो मैंने तुम्हें इस सवाल का जवाब दिया। 

उपयुक्त वाक्यों में जिन जिन स्थानों पर पहले, पीछे, कभी, कब, अब तक आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है वह सभी शब्द कालवाचक क्रियाविशेषण है। 

(3) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण (Pariman vachak visheshan)

जिन शब्दों के प्रयोग से क्रिया के किसी निश्चित परिणाम का बोध हो उन शब्दों को परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहा जाता है। जैसे – बहुत, अधिक, कुछ, थोड़ा, काफी, केवल, इतना, थोड़ा-थोड़ा, एक-एक करके आदि –

परिमाणवाचक क्रियाविशेषण के उदाहरण – 

तुम बहुत अच्छे इंसान हो। 

उसने खाना बहुत अधिक खा लिया है। 

अपने शरारती लड़के का कुछ करो। 

मुझे थोड़े से चावल उधार दो। 

केवल इतने से पैसों के लिए तुमने चोरी की। 

थोड़ा-थोड़ा बचा कर ही ज्यादा की उम्मीद की जा सकती है। 

सब एक-एक करके अंदर जाओ। 

उपयुक्त वाक्यों में जिस-जिस स्थान पर बहुत, अधिक, थोड़ा, काफी, केवल, इतना, उतना आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है वह सभी शब्द परिमाणवाचक क्रियाविशेषण है। 

(4) रीतिवाचक क्रियाविशेषण (Riti vachak kriya visheshan)

जिन शब्दों के प्रयोग से क्रिया के करने की रीति का बोध हो उन शब्दों को रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है, जैसे – धीरे-धीरे, जल्दी, रोज आदि। 

रीतिवाचक क्रियाविशेषण के उदाहरण – 

तुम बहुत धीरे-धीरे चल रहे हो। 

तुम्हें क्या जल्दी लगी है। 

तुम रोज समय पर नहीं पहुंचते हो। 

उपयुक्त वाक्यों में धीरे-धीरे, जल्दी, रोज आदि शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण हैं। 

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