चाणक्य नीति के कुल 17 अध्याय और मूल बातें

आज हम एक प्रसिद्ध ग्रंथ के बारे में बात करने वाले हैं, जिसे हम “चाणक्य नीति” के नाम से जानते हैं। हम आपको बताएंगे चाणक्य नीति के सभी अध्याय और आचर्य चाणक्य के बारे में विस्तार से उनका स्वभाव, लहजा का पिटारा आपके सामने खोलने जा रहे हैं। 

चाणक्य नीति क्या है ?

चाणक्य नीति को हम “चाणक्य नीति शास्त्र” का भी नाम दे सकते हैं, इस नीति को चाणक्य जी ने एक ग्रंथ के रूप में रचा था। साहित्य संस्कृत में चाणक्य नीति को बहुत ही अहम नीति का दर्जा दिया गया है इस नीति में खुशहाल जीवन जीने और खुद को आत्मनिर्भर बनने की बातें कहीं गई है। 

चाणक्य नीति के रचयिता चाणक्य कौन थे ?

अचार्य चाणक्य जी को भारत का गौरव कहा गया है चाणक्य जी का जीवन समय 326 ईस्वी का माना जाता है। देश में देख भ्रष्टाचार और दयनीय स्थिति, चाणक्य जी के हृदय को बहुत चोट पहुंचाया करती थी। वह बहुत ही नरम दिल, समझदार और सीधे – साधे थे। 

बचपन से उनके माथे को देखकर ऐसा प्रतीत होता था कि वह तनाव महसूस कर रहे हो। 

> चाणक्य नीति के 17 अध्यायों की सूची

1. चाणक्य नीति: प्रथम अध्याय 

2. चाणक्य नीति: द्वितीय अध्याय 

3. चाणक्य नीति: तीसरा अध्याय 

4. चाणक्य नीति: चौथा अध्याय 

5. चाणक्य नीति: पांचवा अध्याय 

6. चाणक्य नीति: छठवां अध्याय 

7. चाणक्य नीति: सातवां अध्याय 

8. चाणक्य नीति: आठवाँ अध्याय 

9. चाणक्य नीति: नवां अध्याय 

10. चाणक्य नीति: दसवाँ अध्याय 

11. चाणक्य नीति: ग्यारहवाँ अध्याय 

12. चाणक्य नीति: बारहवां अध्याय 

13. चाणक्य नीति: तेरहवां अध्याय 

14. चाणक्य नीति: चौदहवाँ अध्याय 

15. चाणक्य नीति: पन्द्रहवां अध्याय 

16. चाणक्य नीति: सोलहवां अध्याय 

17. चाणक्य नीति: सत्रहवां अध्याय 

 चाणक्य नीति के मुख्य पहलू

  • धर्म
  • संस्कृति
  • न्याय
  • शांति
  • व्यावहारिक शिक्षा
  • राजनीति संबंधी
  • सुशिक्षा एवं सर्वतोन्मुखी मानव जीवन की प्रगति

चाणक्य नीति में शामिल 5 सबसे मूल बातें

  • इस नीति में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को अधिक सीधा नहीं होना चाहिए जैसे हम जंगल में देखते हैं कि सीधी टहनी को काट दिया जाता है और टेढ़ी को छोड़ दिया जाता है। 
  • यदि कोई सांप जहरीला नहीं है तो भी उसे फुरफुराना नहीं छोड़ना चाहिए, इसी तरह यदि कोई कमजोर व्यक्ति है तो उस अपनी कमजोरी को दर्शाना नहीं चाहिए। 
  • कभी भी अपने रहस्य और राज को अपने गुरु के सिवा, किसी को ना बताएं क्योंकि यह क्रिया आपको बर्बाद कर सकती है। 
  • हर दोस्ती के पीछे स्वार्थ है क्योंकि दुनिया में ऐसी कोई भी दोस्ती, मित्रता नहीं है, जहां स्वार्थ ना हो यदि आपको ऐसा नहीं लगता, तो आप गलत है। 
  • किसी बच्चे के पालन पोषण में पहले 5 साल उन्हें दुलार से पालना चाहिए और अगले 5 सालों डाँट से पालना चाहिए फिर जब बच्चा 16 वर्ष का हो जाता है तो उसके साथ दोस्तों जैसा व्यवहार करना चाहिए। 

ऐसे ही बहुत सारी मूल बातें चाणक्य जी ने अपने चाणक्य नीति के अध्याय में बताया है यदि आप इसकी गहराई में जाते हैं तो आपके जीवन जीने का मकसद भी बदल सकता है। 

निष्कर्ष : आज हमने चाणक्य नीति के 17 अध्यायों की लिस्ट आपके सामने पेश की है “चाणक्य नीति” का जिक्र हर उस जगह किया जा रहा है जहां लोगों को जुनून, जज्बे और समझदारी की आवश्यकता है। 

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