आज के इस लेख में हम कर्मधारय समास के बारे में पढ़ने वाले हैं, इस लेख में आप कर्मधारय समास की परिभाषा तथा कर्मधारय समास के उदाहरण के बारे में पढ़ेगें। कर्मधारय समास के बारे में पूरी जानकारी के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
कर्मधारय समास की परिभाषा
ऐसे समास जहाँ उत्तर पद प्रधान हो तथा ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया हो जिसमें से पहला पद विशेष्य तथा दूसरा पद विशेषण हो, या फिर वहा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
उदाहरण
- पुरुषरत्न = रत्न है जो पुरुष
- कर्मधारय = समास के उदाहरण
- आदिप्रवर्तक = पहला प्रवर्तक
- कीर्तिलता = कीर्ति रुपी लता
- चलसम्पति = गतिशील संपत्ति
- भक्तिसुधा = भक्ति रुपी सुधा
- पर्णकुटी = पत्तों से बनी कुटी
- मुखारविंद = अरविन्द के सामान मुख
- विरहसागर = विरह रुपी सागर
- पुत्ररत्न = रत्न के सामान पुत्र
विशेषण – विशेष्य के उदाहरण
- नीलगगन = नीला है जो गगन
- महाविद्यालय = महान है जो विद्यालय
- महादेव = महान है जो देव
- कालीमिर्च = काली है जो मिर्च
- अधपका = आधा है जो पका
- नीलकंठ = नीला है जो कंठ
- महाराज = महान है जो राजा
- कापुरुष = कायर है जो पुरुष
- परमानंद = परम है जो आनंद
- प्रधानाध्यापक = प्रधान है जो अध्यापक
- भलामानस = भला है जो मानस
- महापुरुष = महान है जो पुरुष
- लालटोपी = लाल है जो टोपी
- महावीर = महान है जो वीर
- पीतांबर = पीत है जो अंबर
उपमान – उपमेय के उदाहरण
- वचनामृत = अमृत रूपी वचन
- देहलता = लता रूपी देह
- चंद्रमुख = चंद्र के समान मुख
- संसारसागर = संसार रूपी सागर
- घनश्याम = घन के समान श्याम
- करकमल = कर रूपी कमल
- विद्याधन = विद्या रूपी धन
- कुसुमकोमल = कुसुम सा कोमल
- भवजल = भव रूपी जल
- मृगलोचन = मृग के समान लोचन
- आशालता = आशा की लता
- भुजदंड = दंड के समान भुजा
- कनकलता = कनक के समान लता
- चरणकमल = कमल के समान चरण
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