व्यंजन संधि की परिभाषा, नियम एवं उदाहरण

आज के इस लेख में हम व्यंजन संधि के बारे में पढ़ने वाले हैं, इस लेख में हम व्यंजन संधि की परिभाषा तथा व्यंजन संधि के नियम को उदाहरण के साथ पढ़ेगें तो व्यंजन संधि की सम्पूर्ण जानकारी के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

व्यंजन संधि की परिभाषा

किसी व्यंजन संधि का किसी स्वर संधि अथवा किसी व्यंजन संधि से मेल होता है तो संधि के बाद होने वाले परिवर्तन को व्यंजन संधि कहते हैं।

उदाहरण

  • दिक् + गज = दिग्गज
  • वाक् + ईश = वागीश
  • षट् + मास = षण्मास
  • उत् + नयन = उन्नयन
  • तत् + टीका = तट्टीका
  • उत् + डयन = उड्डयन
  • संधि + छेद = संधिच्छेद
  • अनु + छेद = अनुच्छेद

व्यंजन संधि के नियम

व्यंजन संधि के कुल 11 नियम है जो कि निम्नलिखित दिए गए हैं-

नियम 1.- किसी वाक्य में वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, त्, ट्, प् का मिलन अन्य वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण य्,ह, र्,व्,ल् या फिर किसी अन्य स्वर से हो तो क् को ग् च् को ज्, ट् को ड् और प् को ब् हो जाता है।

उदाहरण

  • अप् + ज = अब्ज        ,    प + ज + ब्ज
  • दिक् + गज = दिग्गज   , क् + ग = ग्ग
  • षट् + आनन = षडानन  , ट् + आ = डा
  • वाक् + ईश = वागीश   , क् + ई = गी
  • अच् + अंत = अजंत    , च् + अ = ज्

नियम 2.- यदि वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मेल न् या म् वर्णों के साथ किया गया हो तो उन वर्णों की जगह पर वर्ग का पांचवा वर्ण हो जाता है।

उदाहरण

  • उत् + नयन = उन्नयन
  • अप् + मय = अम्मय
  • षट् + मास = षण्मास
  • अच् + नाश = अंनाश

नियम 3.- जब किसी संधि में त् का मिलन ग, घ,व, द, र, ध, ब, य, भ अथवा किसी अन्य स्वर के साथ होता है तो वह द् में परिवर्तित हो जाता है।

उदाहरण

  • सत् + धर्म = सद्धर्म
  • जगत् + ईश = जगदीश
  • तत् + रूप = तद्रूप
  • सत् + भावना = सद्भावना
  • भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति

नियम 4.- यदि त् के साथ च् या छ् का प्रयोग हो तो यह च, ज् मे परिवर्तित हो जाता है।

उदाहरण

  • उत् + चारण = उच्चारण
  • उत् + लास = उल्लास
  • सत् + जन = सज्जन
  • तत् + टीका = तट्टीका
  • उत् + झटिका = उज्झटिका

नियम 5.- यदि त् का मिलन श् से हो जाये तो च् तथा श् का परिवर्तन छ् में हो जाता है।

उदाहरण

  • उत् + श्वास = उच्छ्वास
  • सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र
  • उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट

नियम 6.- यदि संधि में त् का मिलन ह् से होता है तो त् का द् तथा ह् का ध् में परिवर्तन हो जाता है।

उदाहरण

  • उत् + हार = उद्धार
  • तत् + हित = तद्धित
  • उत् + हरण = उद्धरण

नियम 7.– यदि किसी संधि में स्वर के बाद छ् वर्ण का प्रयोग किया जाए तो छ् से पूर्व च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है।

उदाहरण

  • स्व + छंद = स्वच्छंद
  • संधि + छेद = संधिच्छेद
  • आ + छादन = आच्छादन
  • अनु + छेद = अनुच्छेद

नियम 8.- यदि किसी वाक्य में संधि में म् के बाद क् से म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में परिवर्तित हो जाता है।

उदाहरण

  • किम् + चित = किंचित
  • सम् + तोष = संतोष
  • किम् + कर = किंकर
  • सम् + चय = संचय
  • सम् + कल्प = संकल्प

नियम 9.- जब किसी संधि में म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है । जैसे – (म् + म = म्म) तो भी यह व्यंजन संधि के अंतर्गत आता है।

उदाहरण

  • सम् + मति = सम्मति
  • सम् + मान = सम्मान

नियम 10.- यदि संधि में म् के बाद य्, र्, ल्, ष्, स्, व्, श्, ह् में से कोई व्यंजन का प्रयोग किया जाता है तो म् का अनुस्वार हो जाता है।

उदाहरण

  • सम् + लग्न = संलग्न
  • सम् + रक्षण = संरक्षण
  • सम् + सार = संसार
  • सम् + विधान = संविधान
  • सम् + योग = संयोग
  • सम् + वाद = संवाद
  • सम् + शय = संशय

नियम 11.- यदि संधि में स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर का प्रयोग किया जाए तो स् का ष हो जाता है।

उदाहरण

  • प्र + मान = प्रमाण
  • परि + नाम = परिणाम

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