इस आर्टिकल में हम आपको प्रेरणार्थक क्रिया के बारे में बताने जा रहे है क्योंकि यह क्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग है इसलिए हम प्रेरणार्थक क्रिया, प्रेरणार्थक क्रिया के प्रेरक को उदाहरण के द्वारा समझते हैं।
प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा
ऐसी क्रियाएं जिनके प्रयोग से वाक्य मे यह पता चलता है कि कर्ता स्वयं किसी कार्य को ना करके किसी और से कार्य को करवाता है अथवा किसी और को कार्य करने की प्रेरणा देता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे – करवाना, पिलवाती, पिलवाता, कटवाना, पिलवाना, सुनाना, लिखवाना, खिलवाना, बोलवाना इत्यादि।
प्रेरणार्थक क्रिया के प्रेरक
प्रेरणार्थक क्रिया के प्रेरक दो होते हैं-
- प्रेरक कर्ता
- प्रेरित कर्ता
1. प्रेरक कर्ता -: जो कर्ता किसी और को प्रेरित करता है अथवा प्रेरणा देता है वह प्रेरित करता कहलाता है।
जैसे – अध्यापक, कोच, मोटिवेशनल स्पीकर।
2. प्रेरित कर्ता -: जो किसी और कर्ता से प्रेरणा लेता है अथवा किसी और से प्रेरित होता है वह प्रेरित करता कहलाता है।
जैसे – छात्र, खिलाड़ी, फैन्स इत्यादि।
प्रेरणार्थक क्रिया के रूप
प्रेरणार्थक क्रिया के रुप के बारे में बात करे तो यह दो प्रकार के होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं –
- प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
- द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया
1. प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
जिस वाक्य में कर्ता प्रेरक बनकर प्रेरणा देता है अर्थात जिस वाक्य में प्रेरक कर्ता , प्रेरित कर्ता तथा प्रेरणा देने का भाव हो उस वाक्य में प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया होती है।
उदाहरण
- वह सभी को कविता सुनाता है।
- वह अपने भाई से पत्र लिखवाता है।
- दिनेश बच्चों को रुलाता है।
- माया बच्चों को पढ़ाती है।
2. द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया
वाक्य में प्रयुक्त होने वाली क्रिया का ऐसा रूप जो स्वंय से कोई कार्य ना करके दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता हो, उसको द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण
- राकेश अपने दोस्तों से अपना कार्य करवाता है।
- वह रामू से बच्चों को पानी पिलवाता है।
- रमेश ड्राइवर से अपनी गाड़ी चलवाता है।
- वह अपनी बेटी से खाना बनवाती है।
प्रेरणार्थक क्रिया को बनाने के कुछ नियम
प्रेरणार्थक क्रिया को बनाने के कुछ नियम निम्नलिखित दिये गए हैं –
1. यदि हम मूल धातुओं के अंत मे आना शब्द जोड़कर प्रयोग करते हैं तो प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया बनती है तथा यदि हम मूल धातुओं के अंत मे वाना शब्द जोड़कर प्रयोग करते हैं तो द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया बनती है।
उदाहरण
मूल धातु | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
---|---|---|
गिर | गिराना | गिरवाना |
चल | चलाना | चलवाना |
पढ़ | पढ़ाना | पढ़वाना |
उठ | उठाना | उठवाना |
सुन | सुनना | सुनवाना |
2. दो अक्षर वाली धातुओं में ऐ और औ को छोड़कर अन्य सभी स्वर लघु रूप से परिवर्तित होकर दीर्घ रूप में हो जाते हैं।
उदाहरण
मूल धातु | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
---|---|---|
जागना | जगाना | जगवाना |
डूबना | डुबाना | डुबवाना |
जीत | जिताना | जितवाना |
3. किसी एक अक्षर वाली धातु के लास्ट में ला तथा लवा शब्दो को जोड़कर दीर्घ स्वर मात्रा को लघु मात्रा में परिवर्तित कर दिया जाता है
उदाहरण
मूल धातु | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
---|---|---|
खाना | खिलाना | खिलवाना |
पीना | पिलाना | पिलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
सोना | सुलाना | सुलवाना |