संबंधबोधक अव्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण

इस आर्टिकल में हम आपको संबंधबोधक अव्यय जो कि किसी वाक्य में संबंध होने का बोध करते है यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है तथा आपकी परीक्षा के लिये उपयोगी है।

संबंधबोधक अव्यय की परिभाषा

ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम का वाक्य में प्रयुक्त किए गए किसी अन्य संज्ञा सर्वनाम अथवा दूसरे शब्दों से आपस में संबंध का बोध कराते हैं वे शब्द संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – के ऊपर, के पास, के कारण, से दूर, के लिए, की जगह, के अनुसार, की ओर, के आगे, के सामने, के साथ इत्यादि।

उदाहरण – 

  • सभी किताबें टेबल के ऊपर रखी हैं।
  • यहा सिर्फ एक व्यक्ति के बैठने की जगह है।
  • आपका बैग अलमारी के ऊपर रखा है।
  • मैं रमेश के साथ जा रहा हूँ।
  • मेरा घर स्टेशन के पास है।

संबंधबोधक अव्यय के भेद

संबंधबोधक अव्यय के तीन भेद हैं जो कि आपको निम्नलिखित दिए गए हैं-

  • प्रयोग के आधार पर
  • व्युतप्ति के आधार पर
  • काल के आधार पर

संबंधबोधक अव्यय के प्रकार (प्रयोग के आधार पर)

प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के दो प्रकार निम्नलिखित दिए गए हैं-

  • संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय
  • अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय

1. संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय

ऐसे अव्यय जो कारक अथवा विभक्ति के पश्चात वाक्य में प्रयोग किये जाते हैं वह संबद्ध सम्बन्धबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण –

  • ज्ञान के बिना किसी को मुक्ति नहीं मिलती।
  • स्कूल के सामने चाय की दुकान है।
  • राहुल अपने दोस्तों के साथ बाजार गया।
  • हमेशा बाहर जाने से पहले माता पिता का आशीर्वाद ले।

2. अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय

ऐसे शब्द जिनका प्रयोग वाचक संज्ञा के उपरांत किया जाता है, अनुबद्ध संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण

  • प्रत्येक व्यक्ति को सफलता मिलने तक प्रयासरत रहना चाहिए।
  • वह अपने मित्रों सहित बाजार गया।
  • हमें वहां तक पहुंचने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए।

संबंधबोधक अव्यय के प्रकार (व्युत्पत्ति के आधार पर)

व्युत्पत्ति के आधार पर सम्बंधबोधक अव्यय के दो प्रकार निम्नलिखित दिये गए हैं-

  • मूल संबंधबोधक अव्यय
  • यौगिक संबंधबोधक अव्यय

1. मूल संबंधबोधक अव्यय

ऐसे अव्यय शब्द जिनमें किसी और शब्दों का योग नहीं होता है मूल संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे: पर्यंत, बिना, पूर्वक, नाईं इत्यादि।

उदाहरण –

  • वह विनय पूर्वक आग्रह कर रहा था।
  • उसने बिना किसी की मदद के कार्य किया।

2. यौगिक संबंधबोधक अव्यय

ऐसे अव्यय जिनको किन्ही दो शब्दों से मिलाकर बनाया जाता है उन्हें यौगिक संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।

जैसे – नाम, मारफत, भीतर, जान, पास, सरीखा, मारे, बाहर, समान, करके, परे।

उदाहरण –

  • आप लोगो को पास बैठना चाहिए।
  • यह कार्य करने का सही सरीखा है।
  • सभी समान तरह के हैं।

संबंधबोधक अव्यय के प्रकार (काल के आधार पर)

काल के आधार पर सम्बंधबोधक अव्यय के बारह प्रकार निम्नलिखित दिये गए हैं-

  • कालवाचक संबंधबोधक
  • स्थानवाचक संबंधबोधक
  • दिशावाचक संबंधबोधक
  • साधनवाचक संबंधबोधक
  • विरोधसूचक संबंधबोधक
  • समतासूचक संबंधबोधक
  • हेतुवाचक संबंधबोधक
  • सहचरसूचक संबंधबोधक
  • विषयवाचक संबंधबोधक
  • संग्रवाचक संबंधबोधक
  • कारणवाचक संबंधबोधक
  • सीमावाचक संबंधबोधक

1. कालवाचक संबंधबोधक

ऐसे संबंधवाचक अव्यय जिनके द्वारा समय अथवा काल का बोध होता है उन्हें कालवाचक संबंधबोधक कहते हैं।

जैसे – आगे, उपरांत, पश्चात, पहले, बाद, पीछे इत्यादि।

उदाहरण –

  • जनवरी के बाद फ़रवरी आता है।
  • सोमबार के पहले रविवार आता है।

2. स्थानवाचक संबंधबोधक

ऐसे अव्यय जिनसे किसी स्थान आदि का बोध होता है वह स्थानवाचक संबंधबोधक कहलाते हैं।

जैसे – भीतर, बाहर, नीचे, सामने, पीछे इत्यादि।

उदाहरण –

  • अस्पताल के सामने दवाइयों की दुकान है।
  • मेरे घर के पीछे एक पेड़ है।

3. दिशावाचक संबंधबोधक

ऐसे अव्यय जिनसे दिशाओ के बारे में जानकारी मिलती हो वह अव्यय दिशावाचक संबंधबोधक कहलाते हैं।

जैसे – दाहिने, सामने, ओर, बाए इत्यादि।

उदाहरण –

  • आपको दाहिनी तरफ जाना है।
  • उसका घर दाहिनी तरफ है।

4. साधनवाचक संबंधबोधक

ऐसे अव्यय जिनके द्वारा किसी साधन के बारे में जानकारी मालती हो वे अव्यय साधनवाचक संबंधबोधक कहलाते हैं।

जैसे –  द्वारा, जरिये, मार्फत, सहारे, निमित्त, माध्यम इत्यादि।

उदाहरण – 

  • राजन मेज के सहारे पेड़ पर चढ़ा गया।
  • वह बस के माध्यम से घर आ गया।

5. विरोधसूचक संबंधबोधक

ऐसे अव्यय जिनसे विरोध या प्रतिकूलता के भाव का बोध हो रहा हो उन अव्यय को विरोधसूचक संबंधबोधक अव्यय कहते हैं।

जैसे – विरूद्ध, विपरीत, प्रतिकूल, उल्टे इत्यादि।

उदाहरण –

  • मैं नियम के विपरीत कार्य नहीं कर सकता हूँ।
  • वह स्थिति अभी राजन के लिए प्रतिकूल है।

6. समतासूचक संबंधबोधक

ऐसे संबंधवाचक अव्यय जिनके द्वारा समानता के भाव का बोध उत्पन्न हो रहा हो, समतासूचक संबंधबोधक कहलाते हैं।

जैसे – जैसा, सामान्य, सदृश, वैसा, तुल्य, अनुसार इत्यादि।

उदाहरण – 

  • वह जैसा है वैसा ही उसको होना चाहिए था।
  • पानी सदृश द्रव्य होता है।

7. हेतुवाचक संबंधबोधक

ऐसे शब्द जो वाक्य में दो विकल्पो को दर्शाते हैं हेतुवाचक संबंधबोधक कहलाते हैं।

जैसे – अतिरिक्त, रहित, अथवा इत्यादि।

उदाहरण – 

  • इसके अतिरिक्त मेरे पास दूसरा पेन है।
  • आप सेव अथवा केला ले सकते हैं।

8. सहचरसूचक संबंधबोधक

ऐसे शब्द जो किसी के साथ को दर्शाते हैं सहचरसूचक संबंधबोधक कहलाते हैं।

जैसे – साथ, समेत, संग इत्यादि।

उदाहरण – 

  • वह मेरे साथ घूमने गया था।
  • आप किसके संग जा रहे हैं।

9. विषयवाचक संबंधबोधक

ऐसे अव्यय जिनसे किसी विषय के बारे में बोध होता है।

जैसे – लेख, विषय इत्यादि।

उदाहरण – 

  • मेरा सबसे मनपसंद विषय हिंदी है।
  • मुझे लेख लिखना बहुत पसंद है।

10. संग्रवाचक संबंधबोधक

जिन वाक्यों में समेत, भर, तक इत्यादि शब्द प्रयोग किये जाते है वहाँ संग्रवाचक संबंधबोधक होता है।

उदाहरण –

  • वह स्कूल से घर तक पैदल चलकर आया।
  • रोशनी समेत सभी खुशी से झूम उठे।

11. कारणवाचक संबंधबोधक

ऐसे अव्यय जिनके द्वारा किसी कारण के होने का बोध हो रहा हो, कारणवाचक संबंधबोधक अव्यय होता है।

जैसे – खातिर, हेतु, वास्ते, कारण इत्यादि।

उदाहरण –

  • रावण का पूरा साम्राज्य उसके अहंकार के कारण समाप्त हो गया।
  • उसे पैसो की खातिर बाहर जाना पड़ा।

12. सीमावाचक संबंधबोधक

ऐसे अव्यय जिनसे किसी सीमा अथवा पहुच के बारे में बोध होता है वहाँ सीमावाचक संबंधबोधक अव्यय होता है।

जैसे – पर्याप्त, तक, मात्र, भर इत्यादि

उदाहरण – 

  • इतना राशन हम दोनों के लिए पर्याप्त है।
  • शाम तक आप बापस आ जाना।

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