संयुक्त क्रिया, क्रिया का अहम अंग है इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम संयुक्त क्रिया के बारे में पढ़ने वाले हैं और इसके उदाहरण के द्वारा इसको समझेगे। साथ ही हमलोग संयुक्त क्रिया के भेदों के बारे में पढ़ने वाले हैं।
संयुक्त क्रिया की परिभाषा
जब किसी वाक्य में दो भिन्न भिन्न क्रियाएं मिलकर किसी तीसरी प्रमुख क्रिया का निर्माण करती है तो उसे संयुक्त क्रिया कहते है। सामान्य भाषा मे कहे तो वह क्रिया जो दो अलग अलग क्रियाओं से मिलकर बनी हो वह संयुक्त क्रिया कहलाती है।
संयुक्त क्रिया के उदाहरण
- रोहित ने खाना खा लिया।
- रोहन नाचने लगा।
- सोनम विद्यालय चली गई।
- वह घर आ गया।
- मीना खाना खा चुकी।
- रमेश घर पर चला गया।
- राधा नाचने लगी।
- विनोद ने अपना काम किया।
- किशोर ने पढ़ाई कर ली।
- नितेश रोने लगा।
संयुक्त क्रिया के भेद
संयुक्त क्रिया को 11 भागों में बॉटा गया है जो कि निम्नलिखित दिए गए हैं-
- आरम्भबोधक संयुक्त क्रिया
- स्माप्तिबोधक संयुक्त क्रिया
- अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया
- अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया
- आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया
- निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया
- नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया
- अभ्यासबोधक संयुक्त क्रिया
- इच्छाबोधक संयुक्त क्रिया
- शक्तिबोधक संयुक्त क्रिया
- पुनरुक्त संयुक्त क्रिया
1. आरम्भबोधक संयुक्त क्रिया
ऐसी क्रिया जिससे क्रिया से सुरु होने का पता चली चलता है उस क्रिया को आरम्भबोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – वह नाचने लगा।
श्याम चटकने लकगे।
2. स्माप्तिबोधक संयुक्त क्रिया
ऐसी क्रिया जिससे मुख्य क्रिया के समाप्त होने का बोध हो रहा है उन क्रियाओं को स्माप्तिबोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – राम खाना खा चुका है।
बच्चे सो चुके हैं।
3. अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया
जिस संयुक्त क्रिया में अनुमति लेने या फिर अनुमति देने का बोध होता है और संयुक्त क्रिया को अनुमति बोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – मुझे जाने दो।
तुम खाना खा लो।
4. अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया
जिस संयुक्त क्रिया के द्वारा किसी भी अन्य क्रिया के लिए अवकाश होने का बोध होता है उसे अवकाश बोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – उसे बहुत मुश्किल के समय मिला है।
5. आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया
ऐसी संयुक्त क्रिया जिससे किसी क्रिया का कर्तव्य या फिर उसकी आवश्यकता का विरोध हो उसको आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – यह कार्य आपको करना चाहिए।
तुम्हे घर से सामान लाना चाहिए।
6. निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया
ऐसी सयुंक्त क्रिया जिसमे मुख्य क्रिया की निश्चतता का बोध होता है उसको निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – मैं उसको किसी भी हालत में नही छोड़ सकता।
राम उसको जरूर माफ कर देगा।
7. नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया
ऐसी क्रिया जो वाक्य की मुख्य क्रिया के नित्य होने का बोध कराती है नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया कहलाती है।
जैसे – वह नदी वह रही है।
हवा चल रही है।
8. अभ्यासबोधक संयुक्त क्रिया
ऐसी सयुंक्त क्रिया जो मुख्य क्रिया के अभ्यास करने का बोध कराती है अतः अभ्यासबोधक संयुक्त क्रिया कहलाती है।
जैसे – वह पढ़ाई करता है।
मै प्रतिदिन खेलता हूँ।
9. इच्छाबोधक संयुक्त क्रिया
ऐसी क्रिया जिससे मुख्य क्रिया की इच्छा का पता चलता है वह इच्छाबोधक संयुक्त क्रिया कहलाती है।
जैसे – वह आपके साथ भोजन करना चाहता है।
वह पूरा देश घूमना चाहता है।
10. शक्तिबोधक संयुक्त क्रिया
ऐसी सयुंक्त क्रिया जिससे मुख्य क्रिया की शक्ति का बोध होता है उसे शक्तिबोधक संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – मैं यह कार्य अच्छे से कर सकता हूँ।
मोहन तुमसे अधिक योग्य है।
11. पुनरुक्त संयुक्त क्रिया
ऐसी सयुंक्त क्रिया जिनसे किन्ही दो एक समान क्रियाओ के जुड़े होने का बोध होता है उनको पुनरुक्त संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – रमेश खेलना – कूदना पसन्द करता है।
राज को पढ़ना – लिखना पसन्द है।