वक्रोक्ति अलंकार, शब्दालंकार के अंतर्गत आता है वक्रोक्ति का अर्थ होता है टेड़ी युक्ति अर्थात जिस बात को सीधे तरीके से न बोलकर दूसरे तरीके से कहा जाए। इस लेख में हम वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा तथा प्रकार के बारे में पढ़ेंगे।
वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा
वक्रोक्ति शब्द दो शब्दों बक्र तथा उक्ति दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है टेड़ी युक्ति अर्थात ऐसी बाते जो सीधी सीधी न कहकर टेड़ी तरीके से कही जाए। इसमे कहने वाला कुछ कहना चाहता है तथा सुनने वाला इसका अर्थ कुछ और निकाल सकता है।
साधारण भाषा में कहे तो जब कोई कथन कहा जाए और सुनने वाला उसका अलग अर्थ नोकल ले तो वहाँ पर वक्रोक्ति अलंकार होता है।
वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण
एक कह्यौ वर देत भव भाव चाहिए चित्त।
सुनि कह कोउ भोले भवहिं भाव चाहिए मित्त।।
यहाँ पर इस वाक्य में बक्ता कहना चाहता है कि भगवान शिव वर देते है परन्तु उसके लिए आपके मन मे भक्ति का भाव होना चाहिए। इतना सुनने के बाद दूसरा व्यक्ति कहता है कि भगवान शिव तो इतने भोले है कि मन मे भक्ति का भाव होने की भी आवश्यकता नहीं है वह तो विणा भाव के ही बरदान दे देते हैं।
वक्रोक्ति अलंकार के प्रकार
वक्रोक्ति अलंकार को दो प्रकार से बॉंटा गया हैं।
काकु अक्रोक्ति अलंकार
श्लेष वक्रोक्ति अलंकार
1. काकु वक्रोक्ति अलंकार
जब बक्ता के द्वारा बोली गयी बात को उसकी कंठ ध्वनि के कारण बात को सुनने वाला व्यक्ति उन बातों का कुछ अलग मतलब निकाल ले तो वहाँ पर काकु वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण –
मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।
2. श्लेष वक्रोक्ति अलंकार
जहा पर बक्ता द्वारा श्लेष के कारण बोले गए शब्दो का अलग अर्थ निकाला जाता है तो वह पर श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण-
एक कबूतर देख हाथ में पूछा, कहाँ अपर है ?
उसने कहा, अपर कैसा ? वह तो उड़ गया सपर है।।
श्लेष वक्रोक्ति के प्रकार
श्लेष वक्रोक्ति को भी दो प्रकार से बॉंटा गया है।
भंगपद श्लेषवक्रोक्ति
अभंगपद श्लेषवक्रोक्ति
इस आर्टिकल में आपको वक्रोक्ति अलंकार के बारे में उदाहरण सहित सम्पूर्ण जानकारी दी गई है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे जरूर शेयर करें।