आज के इस लेख में हम आपको कर्तृवाच्य के बारे में बताने जा रहे हैं, कर्तृवाच्य क्या होता है? तथा कर्तृवाच्य के कितने प्रकार होते हैं। कर्तृवाच्य से सम्बंधित पूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी अतः इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
कर्तृवाच्य की परिभाषा
वाक्य में प्रयोग होने वाली क्रिया का ऐसा रूप जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता होने का बोध हो, कर्तृवाच्य कहलाता है।
उदाहरण –
- रमेश पानी पीता है।
- श्याम पुस्तक पढ़ता है।
- उसने किताबें पढ़ी।
- आरोही गाना गायेगी।
उपर्युक्त दिए गए इन वाक्यो में रमेश, श्याम, उसने, आरोही वाक्य में होने वाली क्रिया को कर रहे है तथा यह सभी कर्ता है और इन वाक्यों में इनकी प्रधानता है जिस कारण से यह कर्तृवाच्य के उदाहरण हैं।
कर्तृवाच्य के प्रयोग
1. कर्तृवाच्य में अकर्मक एवं सकर्मक दोनो तरह की क्रियाएं प्रयोग में लायी जाती है।
2. जिन वाक्यो में कर्तृवाच्य का प्रयोग होता है उन वाक्यो को भाववाच्य और कर्मवाच्य दोनो में बदला जा सकता है।
3. क्रिया के साथ सक के विभिन्न रुपों का प्रयोग कर्ता की क्षमता अथवा सामर्थ्य को दिखाने के लिए किया जाता है।
उदाहरण –
- मैं इंग्लिश लिख सकता हूँ।
- रमेश गीत गा सकता है।
- विजय पूरा काम अकेले कर सकता है।
4. इसी प्रकार कई जगहों पर सक का प्रयोग कर्तृवाच्य के असमर्थता सूचक वाक्यो में भी किया जाता है।
उदाहरण –
- अब तुम यहा पर काम नही कर सकते हो।
- बच्चे आज फ़िल्म नही देख सकते हैं।
- मैं आपका यह काम नही कर सकता हूं।
इस लेख में आपको कर्तृवाच्य के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करें।